नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच गतिरोध की एक के बाद एक खबरें सामने आ रही हैं। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की तरफ से तत्कालीन वित्त मंत्री को इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर तीन बार चेताने की खबर के बाद अब आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग से जुड़ा विरोध सामने आया है।
तत्कालीन आर्थिक मामलों सचिव सुभाष गर्ग ने बताया कि सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को शामिल नहीं करना चाहता था। सुभाष गर्ग ने 1 सितंबर 2017 को संबंधित फाइल में लिखा था, ‘मुझे विशेष रूप से यह निर्देश था कि जब तक ना कहा जाए इस फाइल को जारी नहीं करना है।’
आरटीआई के तहत मौजूद जानकारी के अनुसार आर्थिक मामलों के विभाग में बजट प्रभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव प्रशांत गोयल ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो को एक गोपनीय पत्र लिखा था। इस पत्र में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर ऑपरेशनल डिटेल साझा किए गए थे। 30 अगस्त 2017 को गोयल ने आरबीआई से दो सप्ताह के भीतर प्रस्तावित बॉन्ड को लेकर विस्तृत परिचालन के तौर-तरीकों को शामिल करने की बात कही थी।
गर्ग ने इस मामले में एक दिन बाद ही 1 सितंबर 2017 के को ही स्पष्टीकरण मांगा था। उसी दिन गोयल ने आरबीआई के साथ अपने कम्यूनिकेशन में कहा कि पीएम गरीब कल्याण जमा योजना की अधिसूचना जारी करने के समय में भी इस प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन 7 सितंबर को गर्ग ने फाइल में लिखा था, ‘यदि जरूरत पड़े तो हम फोन पर भी आरबीआई से सलाह लेकर मसौदा तैयार कर सकते हैं। खैर, प्लीज इस मसौदा अधिसूचना को तैयार करें और मुझे दिखाएं।’
गोयल के डिप्टी गवर्नर कानूनगो को पत्र लिखे जाने के बाद ही सरकार और आरबीआई के बीच असहमति की बात सामने आई थी। इसके बाद ही आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल ने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को इलेक्टोरल बॉन्ड पर अपनी आपत्तियां जाहिर करते हुए कई बार पत्र लिखे थे। उर्जित ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार बढ़ेगा और नोटबंदी का मकसद भी सफल नहीं होगा।