भाजपा का नारा अब प्रामाणिक लगने लगा है कि -मोदी हैं तो मुमकिन है. मोदी जी हैं इसीलिए पहली बार विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की व्यापक मजबूती और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी के कारण रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार में 32 पैसे टूटकर 89.85 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया।इसे अंग्रेजी में Rupee All Time Low कहते हैं.
जानकार बताते हैं कि कंपनियों, आयातकों और विदेशी निवेशकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग ने रुपये पर दबाव डाला।लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हमारे प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इस बारे में देश को कुछ भी नहीं बताते. पूछने पर भी टाल देते हैं.
ताजा खबर है कि अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.70 पर खुला। फिर 89.85 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया जो पिछले बंद भाव से 32 पैसे की गिरावट दर्शाता है। रुपया सोमवार को दिन के कारोबार में 89.79 प्रति डॉलर तक गिरने के बाद 89.53 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 99.41 पर रहा।
बाजार की भाषा सपाट नहीं होती. आम जनता उसे न पढ पाती है और न समझ पाती है.
आम जनता को नटों की, टपोरियों की भाषा सुनने की आदत पड गयी है, जिसमें समझने और समझाने के लिए कुछ होता ही नहीं है. उधर घरेलू शेयर बाजार कहता है कि के शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 223.84 अंक या 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,418.06 अंक पर जबकि निफ्टी 59 अंक या 0.23 प्रतिशत की फिसलकर 26,116.75 अंक पर रहा।
जानकारों का मानना है कि करेंसी में गिरावट की वजह भारती य रिजर्व बैंक से बिना किसी समर्थन के फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स की डेली सेलिंग और एन डी एफ एक्सपायरी कवरिंग है।
रॉयटर्स के मुताबिक, इस बात की संभावना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने करेंसी को 90 के लेवल से नीचे जाने से रोकने के लिए डॉलर बेचे हों।अब ऐसा हुआ है या नहीं ये केवल सरकार जानती है. हमारी वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जानती हैं जो एक लंबे समय से जनता के सामने सीतारामी बजट पेश करती आ रहीं हैं.
आपको याद दिला दूं कि आज के प्रधानमंत्री माननी नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने 2013 में,( जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे )रुपये की गिरावट को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने एक भाषण में कहा था: “रुपया अस्पताल में है और आईसीयू में भर्ती है।” इसके अलावा, उन्होंने सिंह सरकार को “दिशाहीन, असहाय और निराश” बताया और आरोप लगाया कि संकट के समय नेतृत्व की कमी के कारण देश का दुर्भाग्य हो गया है। उन्होंने रुपये की गिरावट को भ्रष्टाचार से भी जोड़ा।
मोदी ने मनमोहन सिंह की उम्र (तब लगभग 80 वर्ष) से भी तुलना की, कहते हुए कि रुपये का भाव उनकी उम्र के बराबर गिर गया है। यह बयान 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आया, जब यूपीए सरकार पर आर्थिक संकट के लिए निशाना साधा जा रहा था।
अब जब मोदीजी खुद 75के हुए हैं और रुपये का भाव 89.85 पर पहुंच गया है तब उनकी बोलती बंद है. उन्हे प्रदूषित दिल्ली का मौसम सुहाना लगता है. अब रुपया आई सी यू में नहीं मृत्यु शैया पर है फिर भी नो लाज, नो शर्म. सरकार के चेहरे से सिर्फ बेहयाई टपक रही है. मोदीजी का ये बयान विपक्ष द्वारा मोदी सरकार के समय रुपये की गिरावट पर तंज कसने के लिए बार-बार काम आ रहा है. पर सवाल ये है कि रुपये का आने वाले कल में होगा क्या ?
@राकेश अचल
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