@शब्द दूत ब्यूरो (25 सितम्बर 2025)
नयी दिल्ली। लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन हिंसा में बदल गया। जानकारी के अनुसार, 10 सितंबर 2025 को सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की थी। यह मुद्दा पहले से ही भारत सरकार, एपेक्स बॉडी लेह और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के बीच उच्च स्तरीय समिति (HPC) और उप-समिति की औपचारिक एवं अनौपचारिक बैठकों में चर्चा के केंद्र में रहा है। इस संवाद प्रक्रिया से उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं, जिनमें लद्दाख अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 84 प्रतिशत करना, परिषदों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण और भोटी व पुर्गी भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा देना शामिल है। इसके साथ ही 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
हालांकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्तियों ने इस प्रगति से असंतुष्ट होकर संवाद को कमजोर करने का प्रयास किया। सोनम वांगचुक द्वारा भूख हड़ताल के दौरान “अरब स्प्रिंग” और नेपाल में “जनरेशन जेड” आंदोलनों जैसे भड़काऊ संदर्भ दिए जाने से स्थिति और बिगड़ गई। 24 सितंबर को सुबह लगभग 11.30 बजे भूख हड़ताल स्थल से निकली भीड़ ने उकसावे में आकर एक राजनीतिक दल के कार्यालय और सीईसी लेह के सरकारी कार्यालय पर हमला कर आगजनी की। उपद्रवियों ने पुलिस वाहन फूंके और सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिसमें 30 से अधिक पुलिस और सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए। हिंसा बढ़ने पर पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की, जिसमें कुछ लोगों की मौत की खबर है।
हालांकि दोपहर बाद स्थिति पर काबू पा लिया गया और शाम 4 बजे तक हालात सामान्य बना दिए गए। इस दौरान सोनम वांगचुक ने अपना उपवास तोड़ा और एंबुलेंस से गांव लौट गए, लेकिन हिंसा पर काबू पाने की अपील नहीं की।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह लद्दाख की जनता की आकांक्षाओं के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आवश्यक संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करेगी। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि सोशल मीडिया पर पुराने और भड़काऊ वीडियो न फैलाएँ।
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