@शब्द दूत ब्यूरो (26 अगस्त 2025)
नयी दिल्ली। बिहार में विशेष गहन संशोधन के बीच चुनाव आयोग ने मतदाता सूची अद्यतन पर देशवासियों से सवाल पूछे और प्रतिक्रिया मांगी, जबकि इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विरोध, सुप्रीम कोर्ट की हस्तक्षेप और निर्वाचन आयोग की जागरूकता कार्रवाई सुर्खियों में रही।
इस अभियान के तहत लगभग 65.5 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, 1.41 लाख दावे प्राप्त हुए, और छह सप्ताह में सभी दावों का समाधान कर अंतिम सूची प्रकाशित करने की योजना बनाई गई है । आयोग ने घर-घर गई BLO टीमों और राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय एजेंटों की भागीदारी सुनिश्चित की।
दस्तावेज़ के रूप में वंशावली और स्कूल सर्टिफिकेट सबसे आम रहे । इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची और हटाने के कारण प्रकाशित करने का निर्देश दिया, जिसे आयोग ने मानते हुए सार्वजनिक किया ।
विपक्ष ने इसे मताधिकार छीने जाने का प्रयास बताया—राहुल गांधी ने इसे “वोट चोरी ” करार दिया और “वोटर अधिकार यात्रा” शुरू की । कांग्रेस और अन्य दलों के सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किए और न्यायिक हस्तक्षेप की मांग उठाई । वहीं चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह एक कानूनी जिम्मेदारी है, जो 20 वर्षों में पहली बार हो रही है, और इसमें सभी पार्टियों को समान रूप से शामिल किया गया है । इस तरह, SIR प्रक्रिया ने मतदाता सूची की सफाई और पारदर्शिता के प्रयासों को तेज किया, लेकिन राजनीतिक विवाद, न्यायिक आदेश और जनसहभागिता के चलते लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया।
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