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30 मई विशेष :हिंदी पत्रकारिता के जनक पं युगल किशोर शुक्ल, 30 मई को शुरू किया हिंदी का पहला समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड, डेढ़ साल में ही करना पड़ा बंद, जानिये क्यों?

@शब्द दूत ब्यूरो (30 मई 2025)

हिंदी पत्रकारिता दिवस हर साल 30 मई को मनाया जाता है। यह दिवस हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत के प्रतीकस्वरूप मनाया जाता है।

यह दिवस पंडित युगल किशोर शुक्ल की स्मृति में मनाया जाता है, जो ‘उदंत मार्तंड’ के संपादक और प्रकाशक थे। वे हिंदी पत्रकारिता के पहले पुरोधा माने जाते हैं।

हालाँकि यह पत्र कुछ ही समय (लगभग डेढ़ साल) तक चल पाया, लेकिन इसने हिंदी पत्रकारिता की नींव रख दी, जिसे आज भी स्मरण किया जाता है।

हिंदी पत्रकारिता दिवस, 30 मई को, ‘उदंत मार्तंड’ की ऐतिहासिक शुरुआत और पंडित युगल किशोर शुक्ल के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हिंदी पत्रकारों और पाठकों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।उनका जन्म 19वीं सदी की शुरुआत में, उत्तर प्रदेश के कानपुर या उन्नाव क्षेत्र में हुआ था।

युगल किशोर शुक्ल ब्राह्मण परिवार से थे। उन्हें हिंदी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेज़ी भाषा का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त की। उनके लेखन में भाषा की स्पष्टता, सामाजिक चेतना और नवजागरण के विचार देखने को मिलते हैं।

यह समाचार पत्र हिंदी भाषा में था, और ब्रजभाषा व खड़ी बोली मिश्रित शैली में लिखा जाता था। जिसका उद्देश्य था — हिंदी भाषी जनमानस को जागरूक करना और सामाजिक मुद्दों से जोड़ना।

हिंदी पाठकों की संख्या कम थी और अधिकांश हिंदी भाषी बंगाल में नहीं रहते थे। सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली।डाक-प्रणाली का उपयोग महंगा था। अंततः आर्थिक कठिनाइयों के कारण यह पत्र दिसंबर 1827 में बंद हो गया।

युगल किशोर शुक्ल एक वकील (मुंशी) भी थे और कलकत्ता में न्यायिक सेवा से जुड़े रहे। युगल किशोर शुक्ल का निधन 19वीं सदी के मध्य में हुआ। उनकी मृत्यु की तिथि स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है, परंतु उनके योगदान को हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उन्हें हिंदी पत्रकारिता का जनक कहा जाता है।उनके सम्मान में हर वर्ष 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है।

पंडित युगल किशोर शुक्ल एक दूरदर्शी, सशक्त और प्रतिबद्ध व्यक्ति थे जिन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत की। उन्होंने हिंदी भाषा को जनसंचार का माध्यम बनाने की जो पहल की, वह आज एक विशाल पत्रकारिता परंपरा में बदल चुकी है।

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