@डॉ संतोष श्रीवास्तव
वो सिर्फ़ 28 साल का था — ज़िंदादिल, सपने देखने वाला, हँसता-खेलता नौजवान। एक शाम एक कुत्ता उसकी टांग में काट गया। घाव छोटा था, उसने उसे मामूली समझा — थोड़ा पानी से धोया, हल्दी लगाई और बात को नज़रअंदाज़ कर दिया।
लेकिन उसको को ये नहीं पता था कि उस कुत्ते को रेबीज था — एक ऐसा वायरस जो सीधा इंसान के दिमाग़ और नर्वस सिस्टम पर हमला करता है।
लगभग एक महीने बाद, उसको को गले में कसाव महसूस हुआ, पानी पीने से डर लगने लगा, बेचैनी बढ़ी, भ्रम और झटकों के साथ उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों ने बताया:
“ये रेबीज है… और अब कुछ नहीं किया जा सकता।”
तीन दिन के भीतर उसने ने दम तोड़ दिया।
एक नौजवान ज़िंदगी सिर्फ़ इसलिए चली गई क्योंकि समय पर उसे रेबीज का वैक्सीन नहीं लगा।
ये कहानी मेरे लिए सिर्फ़ एक खबर नहीं है… ये मेरा निजी दर्द है।
मेरे अपने जीजा की मौत भी रेबीज की वजह से हुई थी।
हमने बहुत कोशिश की, पर जब तक बीमारी के लक्षण दिखे देर हो चुकी थी।
उसी दिन मैंने ठान लिया कि लोगों को जागरूक करना मेरी ज़िम्मेदारी है।
मैंने स्थानीय स्तर रेबीज जागरूकता अभियान चलाया , काशीपुर के लोगों के आर्थिक सहयोग और अपने हॉस्पिटल की मदद 2500 लोगों को वैक्सीन निशुल्क लगाया — लेकिन 2019 में कुछ कारणों या यूं कहें कि काशीपुर के दुर्भाग्य के कारण उस संस्था को बंदकरना पड़ा। जिसका अफसोस मुझे जीवन पर्यंत रहेगा।
क्या आप जानते हैं?
हर साल भारत में लगभग 20,000 लोग रेबीज से मर जाते हैं — ये संख्या पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा है।
और चौंकाने वाली बात ये है कि ये मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती थीं, अगर समय पर
रेबीज का टीका (Post-Exposure Prophylaxis) लगवा लिया जाता।
काटने वाला जानवर चाहे पालतू हो या आवारा, छोटा घाव हो या खरोंच — रेबीज का खतरा हमेशा होता है।
इसलिए जानवर के काटने या खरोंचने के तुरंत बाद घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। बिना देर किए नज़दीकी अस्पताल में जाएं और रेबीज का पहला इंजेक्शन लगवाएं। डॉक्टर की सलाह से पूरा टीकाकरण कोर्स पूरा करें।
समाज में हर व्यक्ति को यह जानना जरूरी है कि रेबीज जानलेवा है — पर इससे बचा जा सकता है। थोड़ी सी जागरूकता, एक ज़िंदगी बचा सकती है।आप खुद जागरूक बनें — और दूसरों को भी बनाएं।
संपादकीय टिप्पणी
काशीपुर के मौहल्ला लाहौरियान निवासी युवा आशीष सारस्वत की कुत्ते के काटने के बाद हुये रेबीज की वजह से मौत हो गई। एक युवा की असामयिक मौत से सभी को दुख पहुंचा है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। साथ ही ऐसी असामयिक मौतें आगे न हों इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कदम उठाने चाहिए। हादसे और मौत के बाद कदम उठाने की परंपरा समाप्त होनी चाहिए।