नई दिल्ली। दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देते हुए रजत शर्मा ने कहा कि डीडीसीए के साथ काम करते हुए मेरे लिए अपनी ईमानदारी, पारदर्शिता को साथ लेकर चल पा संभव नहीं लग रहा है, जिसके साथ मैं किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करुंगा। रजत शर्मा का डीडीसीए अध्यक्ष पद पर कार्यकाल कुल 20 माह का रहा। बताया जा रहा है कि डीडीसीए के महासचिव विनोद तिहारा से मतभेदों के चलते रजत शर्मा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। विनोद तिहारा का डीडीसीए में खासा दबदबा माना जाता है।
रजत शर्मा ने कहा कि डीडीसीए प्रशासन में हमेशा खींचतान और दबाव रहता है। मुझे लगता है कि निजी स्वार्थ क्रिकेट के हितों के खिलाफ काम करते हैं। बीते दिनों रजत शर्मा के खिलाफ कई शिकायतें भी बीसीसीआई के चुनाव अधिकारी को मिली थी। जिसमें रजत शर्मा ने बीसीसीआई की वार्षिक जनरल बॉडी मीटिंग में खुद को ही राज्य प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया था। इस पर डीडीसीए के महासचिव विनोद तिहारा समेत कई लोगों ने आपत्ति दर्ज करायी थी।
खबर है कि मशहूर पत्रकार रजत शर्मा के खिलाफ डीडीसीए के अन्य निदेशकों ने प्रस्ताव पास करके उनकी शक्तियां छीन ली थीं। ऐसे में उनके करने के लिए ज्यादा काम नहीं रह गया था। माना जा रहा है कि रजत शर्मा के डीडीसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की यह अहम वजह हो सकती है। गौरतलब है कि रजत शर्मा के अध्यक्ष रहते हुए ही दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान का नाम बदलकर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम पर किया गया है। बता दें कि अरुण जेटली और रजत शर्मा काफी अच्छे मित्र थे। अरुण जेटली भी डीडीसीए के अध्यक्ष का पद संभाल चुके थे।
विनोद तिहारा ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि डीडीसीए अध्यक्ष रजत शर्मा बिना जनरल बॉडी की सहमति के खुद को स्टेट यूनिट का प्रतिनिधि कैसे नियुक्त कर सकते हैं। कहा जाता है कि रजत शर्मा डीडीसीए में अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री और दिवंगत नेता अरुण जेटली के समर्थन से बने थे। हालांकि अरुण जेटली के निधन के बाद रजत शर्मा का दबदबा खत्म हो गया।