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मुद्दा: प्रीपेड मीटर पर इतना हल्ला क्यों, फायदे या नुकसान? विरोध सही या ग़लत? यहां पढ़ें पूरी जानकारी

@शब्द दूत ब्यूरो (20 नवंबर 2024)

जैसा कि  नाम से ही पता चल रहा है कि ये प्रीपेड की तर्ज पर काम करेंगे। अभी तक बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से लाइट खर्च करने के बाद ही पैसे लेती थी, लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया जा रहा है। प्रीपेड मीटर लगने का मतलब है कि आपको पहले ही अपने बिजली खाते में पैसे डालने होंगे। मीटर में भी रिचार्ज होने के बाद शो होने लगेगा। साथ ही आपके फोन पर मैसेज डालने के बाद बता दिया जाएगा कि कितना रिचार्ज हुआ है तो कितनी बिजली आपको मिलेगी।
मैसेज प्राप्त होने का मतलब है कि आपके प्रीपेड मीटर में रिचार्ज हो चुका है।

एक बार तय सीमा पर बिजली की खपत करने के बाद आपके फोन पर दूसरा मैसेज भी आएगा। जिसमें आपके मीटर पर बची हुई बिजली का पूरा ब्यौरा दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से घाटे में कमी आएगी। क्योंकि अभी तक उपभोक्ता पहले बिजली का इस्तेमाल कर लेता है और बाद में पैसे देता है। कई केस में पैसे नहीं आ पाते हैं और मजबूरन बिजली काटनी पड़ती है।

दिखने में ये मीटर कोई अलग नहीं होंगे। पोस्टपेड मीटर्स की ही तरह ये भी घर के बाहर ही इंस्टॉल हो जाएंगे। इसमें कुछ भी स्पेशल करने की जरूरत नहीं होगी। बस आपको फोन से रिचार्ज ही करना होगा। मीटर्स को लेकर नियम बनाए जा रहे हैं। एक बार पूरे होने के बाद इन्हें बहुत तेजी से लगाना शुरू किया जाएगा। केरल सरकार ने इन मीटर के लिए बजट तक भी पारित कर दिया है।

आइये जानते हैं कि प्रीपेड मीटरों से उपभोक्ता को क्या लाभ और क्या नुकसान हो सकते हैं। सबसे पहले तो उपभोक्ता को बिजली के लिए अपनी पसंदीदा कंपनी के चुनाव का हक होगा। यानी कि उसके लिए कोई बाध्यता नहीं होगी, वह किसी भी कंपनी की बिजली सुविधा लेने को स्वतंत्र होगा। उपभोक्ता जितना रिचार्ज कराएगा, वह उतनी ही बिजली खर्च सकेगा। पहले की तरह बिजली बकायादार कहलाने की नौबत ही नहीं आएगी। उसे उसके रिचार्ज के आधार पर 24 घंटे बिजली का सुख मुहैया होगा।

प्रीपेड स्मार्ट मीटर के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की समस्या भी खत्म हो जाती है। ऐसा यदि कोई करता है तो विभाग के पास एक अलर्ट मैसेज जाता है और संबंधित उपभोक्ता के खिलाफ कार्रवाई हो जाती है।

उपभोक्ता के पास बिजली का बिल नहीं आएगा, क्योंकि रिचार्ज करने के नाते उसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बिजली का बिल नहीं आएगा तो उसे भरने के लिए बिजली केंद्र के चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

मैनुअल मीटर रीडिंग की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। यानी बिजली कर्मचारी को रीडिंग लेने घर पर आने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इस तरह मैनपावर और टाइम दोनों की बचत होगी। कर्मचारी स्टेशन से ही साफ्टवेयर के जरिए आसानी से प्रत्येक घर की बिजली की खपत की गणना कर सकते हैं।
किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना भी कम हो जाएगी जैसे कि लोग बिजली के तारों पर कटिया डालकर अपने घरों में सीधे बिजली का उपभोग नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही मीटर रीडिंग के दौरान होने वाली चूक, बिल बढ़ाकर भेज दिए जाने की समस्या जैसी मुसीबत से भी छुटकारा मिल जाएगा।
स्मार्ट मीटर बिजली के खर्चों को बचाते हैं। उपभोक्ता जितना रिचार्ज करता है, उतनी ही बिजली खर्च करता है। ऐसे में बेतहाशा बिजली खर्च की गुंजाइश भी नहीं रहती।

अब बात करते हैं नुकसान की तो  कई नुकसान भी हैं । जैसे कि उदाहरण के लिए रिचार्ज करने पर ही बिजली मिलने की वजह से ढेरों ऐसे लोग भी बिजली से वंचित हो जाएंगे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके पास अगर बिजली रिचार्ज करने को पैसे न हुए तो एक बड़े तबके को अंधेरे में गुजर बसर करने को मजबूर होना पड़ेगा। कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के उतरने से सेवा बेशक सुधरे, लेकिन इससे उनकी मनमानी को भी बढ़ावा मिलेगा।

बजट घोषणा के अनुसार बिजली की चोरी रोकने के लिए आने वाली 1 अप्रैल से प्रत्येक घर में प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य हो जायेगा । केंद्र सरकार ने 2024 का लक्ष्य रखा है, जिसके बाद लोगों को बिना मीटर को रिचार्ज कराए घर में बिजली की सप्लाई नहीं मिलेगी। यह भी माना जा रहा है कि एक मीटर के लिए उपभोक्ता को करीब दो हजार रुपए का भुगतान करना होगा। उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार सिंगल फेज से लेकर थ्री फेज मीटर लगाए जाएंगे।

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