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इस छोर अँधेरा है ,उस छोर दिवाली है@राकेश अचल

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

जब दीपावली के दुसरे दिन आपके घर अखबार न आये तब इस आलेख को बार-बार पढ़िए । दीपावली पर आप सभीको हार्दिक शुभकामनायें देते हुए मै गदगद हूँ क्योंकि इस त्यौहार पर मुझे देश में चौतरफा इतनी जगमग दिखाई दे रही है कि दिल बाग़-बाग़ है । इस रौशनी में भूख गरीबी,बेरोजगारी,हिंसा,के तमाम अंधेरे नजर ही नहीं आ रही । वे 85 करोड़ लोग भी नजर नहीं आ रहे हैं जो सरकार की अनुकम्पा से पांच किलो अनाज पाकर जिन्दा हैं और अपनी दीपावली मना रहे हैं।

दीपावली पर सरकार अपने चारों तरफ का अंधकार तिरोहित करने के लिए कितने ठठकर्म कर रही है । उस सरजू के तट पर उत्तरप्रदेश की उत्तरदायी सरकार ने इतनी जगमग कर दिखाई जितनी राजा राम के 14 साल के वनवास से लवटने पार खड़ाऊ राज चलाने वाले महाराज भरत भी नहीं करा पाए होंगे । सरकार ने 28 लाख दीपक जलाकर एक बार फिर नया विश्व रिकार्ड कायम कर दिखाया। उत्तरप्रदेश में उन्हीं माननीय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार है जो ‘ बांटोगे तो काटोगे ‘ का नारा देकर ‘ करो या मरो ‘ की नकल कर रहे हैं।

मुझे लगता है कि आजादी से पहले यदि महात्मा योगी होते तो वे ‘ करो या मरो के बजाय ‘ काटो या मरो ‘ का नारा देते। लेकिन दुर्भाग्य ये कि तब योगी नहीं थे और महात्मा गाँधी थे ।
पिछले दस साल में देश में यदि भिखमंगों की तादाद बढ़ी है, तो करोड़पतियों की तादाद भी बढ़ी है। इसका प्रमाण ये हैकि धनतेरस पर देश में देश की जनता ने 20 हजार करोड़ का सोना और 2500 करोड़ की चांदी खरीद ली। कारों और मकानों की खरीदारी के आंकड़े तो अभी मिले नहीं हैं किन्तु जानकार कहते हैं की धनतेरस पर देश में 60 हजार करोड़ का व्यापार हुआ। जाहिर है कि देशवासियों के पास पैसा है और खूब पैसा है ,इसीलिए हम भारतीयों को अब रोना-धोना छोड़ देना चाहिए , ये काम विपक्ष को करने दीजिये। धनतेरस ने बता और जता दिया है की हम देश की 85 करोड़ क्या सौ करोड़ आबादी को 2028 तक क्या बल्कि आने वाले 2047 तक पांच किलो अनाज देकर जिन्दा रख सकते हैं।

लोग जानलेवा प्रर्दशन की वजह से भले ही दिल्ली छोडकर भागने को विवश हों लेकिन मेरा मानना है कि दिल्ली की लोकल सरकार को पटाखों यानि आतिशबाजी पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। ये राष्ट्रविरोधी और धर्म विरोधी निर्णय है । राष्ट्र और धर्म के समाने जन जीवन की क्या कीमत ? जनता तो पैदायसी कीड़े -मकोड़े हैं । उसे तो मरना ही है। चाहे भूख से मरे ,चाहे प्रदूषण से मरें । जिसके नसीब में मरना लिखा हो उसके लिए त्यौहारों का आनंद तो बल नहीं चढ़ाया जा सकता। काश ! दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार के बजाय खास आदमी पार्टी के किसी योगी आदित्यनाथ की सरकार होती । कम से कम फसूकर डालती जमुना पर भी पचीस पचास लाख दीपक तो जलाये जाते।

दीपावली की खुशियों को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दस मोदी जी की कोशिशों ने दोगुना कर दिया है । भारत-चीन की सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हो रहा है। मोदी जी विदेश नीति पर ऐसे चल रहे हैं कि पांव फिसलने का कोई खतरा है ही नहीं।। यदि कनाडा से हमारा बिगाड़ हुआ तो हमने चीन से रिश्ते सुधार लिए । जम्मू-कश्मीर में भले ही आतंकवाद ने नए सर से सर उठाया हो लेकिन हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत का नया सिलसिला तो शुरू कर ही दिया। दीपावली के मौके पर इससे ज्यादा आप किसी प्रधानमंत्री से और क्या अपेक्षा करते हैं।

माननीय प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर सक्रियता को देखते हुए भाजपा ने इस बार महाराष्ट्र चुनाव में मोदी जी को ज्यादा इस्तेमाल न करने का फैसला किया है। फैसले के मुताबिक मोदी जी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी – 8 ,अमित शाह – 20 ,नितिन गडकरी – 40 ,देवेंद्र फडणवीस – 50 ,चंद्रशेखर बवांकुले – 40 और माननीय योगी आदित्यनाथ – 15 जनसभाएं करेंगे। भाजपा ने मान लिया है की महारष्ट्र में मोदी बम फोड़ने की जरूरत नहीं है। सबसे ज्यादा देवा भाव की फुलझड़ियां चलेंगी । उनसके पीछे अपने नितिन गडकरी के अनार चलाये जायेंगे। बटोगे तो कटोगे का नारा देने वाले योगी जी को केवल 15 बार ये नारा लगाने की इजाजत दी गयी है। वैसे भी महाराष्ट्र में भाजपा और कांग्रेस को छोड़ सभी राजनितिक दल पहले ही आपस में बंट -कट चुके हैं। इण्डिया गंठबंधन भी बिखरा-बिखरा दिखाई दे रहा है।
कुलजमा लब्बो-लुआब ये है कि देश में चारों तरफ अमन है -चैन है। डॉन है ,डैन है। कोई मणिपुर नहीं है ,कोई चुनौती नहीं है। सब तरफ सद्भाव है । रौशनी है । पटाखे हैं। कटोगे तो बाटोगे के भयावह नारे हैं। आप इन्हें कड़ाबीन समझ लीजिये। आप सभी को दीपावली की कोटि-कोटि शुभकामनाएं।
@ राकेश अचल

 

 

 

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