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आदिशक्ति मॉं भवानी के इक्यावन शक्तिपीठ @जानिये कहाँ कहाँ है स्थित?

@विवेक रंजन श्रीवास्तव 

आदिशक्ति मां दुर्गा भवानी के इक्यावन शक्ति पीठ यत्र तत्र फैले हुये हैं। मान्यता है कि भगवान शंकर को यज्ञ में निमंत्रित न करने के कारण सती देवी ने यज्ञ अग्नि में स्वयं की आहुति दे दी थी तो क्रुद्ध भगवान शंकर उनके शरीर को लेकर घूमने लगे और सती माँ के शरीर के विभिन्न हिस्से भारतीय उपमहाद्वीप पर जिन विभिन्न स्थानो पर गिरे वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई। प्रत्येक स्थान पर भैरव स्वरूप की भी स्थापना है। ये स्थान हैं –

 किरीट शक्तिपीठ-यह पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।

 कात्यायनी शक्तिपीठ वृन्दावन-मथुरा के भूतेश्वर में स्थित ह कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ।यहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है।

करवीर शक्तिपीठ-महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव क्रोधशीश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

श्री पर्वत शक्तिपीठ-इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।

विशालाक्षी शक्तिपीठ-उत्तर प्रदेश में वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है, यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।

गोदावरी तट शक्तिपीठ-आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ। जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।

 शुचीन्द्रम शक्तिपीठ-तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ। जहां सती के उर्ध्व दन्त, मतान्तर से पृष्ठ भाग गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।

 पंच सागर शक्तिपीठ-इसका कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।

 ज्वालामुखी शक्तिपीठ-हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है। यहां सती की जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।

भैरव पर्वत शक्तिपीठ- इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का उर्ध्व ओष्ट गिरा है। यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।

अट्टहास शक्तिपीठ-पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।

 जनस्थान शक्तिपीठ- महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है, यहां माता की ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।

कश्मीर शक्तिपीठ-जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह वह शक्तिपीठ है जहां माता का कण्ठ गिरा था। यहां की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं।

नन्दीपुर शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां की शक्ति नन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।

श्री शैल शक्ति पीठ- आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल शक्तिपीठ, जहां माता की ग्रीवा गिरी था। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथवा ईश्वरानन्द हैं।

नलहटी शक्ति पीठ-पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहटी शक्तिपीठ, जहां माता की उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।

मिथिला शक्तिपीठ- इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तातर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं।

 रत्नावली शक्तिपीठ- इसका भी निश्चित स्थान अज्ञात है, यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है। रत्नावली शक्तिपीठ में माता का दक्षिण स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।

 अम्बाजी शक्तिपीठ- गुजरात जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरनार पर्वत के निकट ही सती का उर्ध्व ओष्ठ गिरा था,यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।

जालंधर शक्तिपीठ- पंजाब के जालंधर में स्थित है, जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।

रामागिर शक्तिपीठ इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहां की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।

वैद्यनाथ शक्तिपीठ- झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर में स्थित है वैद्यनाथ शक्तिपीठ। यहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।

 वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ- माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।

कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ। जहां माता का पीठ मतान्तर से उर्ध्व दन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।

 बहुला शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है। जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।

 उज्जयिनी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है । जहां माता की कुहनी गिरी था। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।

मणिवेदिका शक्तिपीठ- राजस्थान के पुष्कर में स्थित है , जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।

 प्रयाग शक्तिपीठ- उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद है इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों पर गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव है।

विरजाक्षेत्रा- उत्कल शक्तिपीठ उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरी थी। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।

कांची शक्तिपीठ- तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।

कालमाधव शक्तिपीठ- इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परन्तु, यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।

शोण शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर में है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्र गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।

कामाख्या शक्तिपीठ- असम गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है । जहां माता की योनि गिरी था। यहां की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानन्द हैं।

 जयन्ती शक्तिपीठ- मेघालय के जयन्तिया पहाड़ी पर स्थित है, जहां माता का वाम जंघा गिरा था। यहां की शक्ति जयन्ती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं।

मगध शक्तिपीठ- बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है । जहां माता का दाहिना जंघा गिरा था। यहां की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं।

त्रिस्तोता शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है । यहां माता का वामपाद गिरा था। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर हैं।

त्रिपुरी सुन्दरी शक्तित्रिपुरी पीठ- यह त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में स्थित है । यहां माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुन्दरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं।

 विभाष शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में स्थित है विभाष शक्तिपीठ। यहां माता का वाम टखना गिरा था। यहां की शक्ति कापालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानन्द हैं।

देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ- हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है, जिसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां माता के दाहिने चरण गिरे थे। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं।

युगाद्या शक्तिपीठ, क्षीरग्राम शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है, यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था। यहां की शक्ति जुगाडय़ा और भैरव क्षीर खंडक है।

विराट का अम्बिका शक्तिपीठ- राजस्थान के गुलाबी नगर जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ। जहाँ सती के दायें पाँव की उँगलियाँ गिरी थीं। यहां की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं।

कालीघाट शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल- कोलकाता के कालीघाट में कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है यह शक्तिपीठ, जहां माता के दाएं पांव के अंगूठे को छोड़ चार अन्य अंगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।

मानस शक्तिपीठ- तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहां माता की दाहिनी हथेली का निपात हुआ था। यहां की शक्ति दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं।

लंका शक्तिपीठ – यह श्रीलंका में स्थित है। जहां माता का नूपुर गिरा था। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन, वह निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।

 गण्डकी शक्तिपीठ- नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ, जहां सती के दक्षिणगण्ड (कपोल) गिरा था। यहां शक्ति गण्डकी तथा भैरव चक्रपाणिं हैं।

 गुह्येश्वरी शक्तिपीठ- यह नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है जहां माता सती के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। यहां की शक्ति महामायां और भैरव कपालं हैं।

हिंगलाज शक्तिपीठ- पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रान्त में स्थित है माता हिंगलाज शक्तिपीठ। जहां माता का ब्रह्मरन्ध्र (सर का ऊपरी भाग) गिरा था। यहां की शक्ति कोट्टरी और भैरव भीमलोचन है।

सुगंध शक्तिपीठ- बंगलादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ। जहां माता की नासिका गिरी थी। यहां की देवी सुनन्दा है तथा भैरव त्रयम्बक हैं।

करतोया घाट शक्तिपीठ- बांग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है करतोयाघाट शक्तिपीठ। जहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं।

चट्टल शक्तिपीठ- बंग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ। जहां माता का दाहिना बाहु यानी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भैरव चन्द्रशेखर हैं।

यशोर शक्तिपीठ- बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता का बायीं हथेली गिरी थी। यहां शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चन्द्र हैं।(विभूति फीचर्स)

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