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राजनीति : वार पर वार करने से क्या फायदा ?शहजादे से शहंशाह तक, वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की बेबाक कलम से

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

अजब राजनीति है ,गजब राजनीति है। आज की राजनीति में राजनीति पर बात ही नहीं हो रही। राजनीति पर बातचीत के अलावा हर विषय पर बात हो रही है। और तो और अब काल्पनिक उपाधियाँ राजनीति का विकल्प बन गयीं है विमर्श के लिए। राजनीतिक दलों को एक -दूसरे पर वार करते देख हमारे पड़ौसी पाकिस्तान ने भी हमारी सेना पर आतंकी हमला कर दिया । क्योंकि वार प्रति वार में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी बार-बार पाकिस्तान को घसीट रहे थे ,जबकि बेचारा पाकिस्तान अपनी ही समस्याओं से बाहर निकल नहीं पा रहा है।

बात शुरू  करते हैं उपाधियों से। माननीय नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जी ने कांग्रेस के नेता माननीय राहुल राजीव गांधी को शहजादे कहना शुरू किया तो कांग्रेस दस साल तो मौन रही लेकिन अब शाहजादे की सहोदरा प्रियंका ने मोदी जी को ही शंहशाह बताना शुरू कर दिया है। प्रियंका कहतीं है कि उनके भाई ने तो पैदल 4 हजार किलोमीटर की यात्रा कर भारत को जोड़ने की कोशिश की है लेकिन शंहशाह माननीय नरेंद्र भाई मोदी महलों में रहते हैं। आपने कभी टीवी पर उनका चेहरा देखा है ? एकदम साफ सुथरा सफेद कुर्ता, एक दाग नहीं है धूल का। एक बाल इधर से उधर नहीं होता है। वो कैसे समझ पाएंगे कि आप किस दलदल में धंसे हुए हो. महंगाई से आप दब चुके हो. हर तरफ महंगाई, मेरी बहनें… मिट्टी का तेल आज कितने का है? सब्जी खरीदने जाती हो,मिलती है क्या? भाव क्या है उसका ?’

आपको बता दूँ कि जैसे मै टीवी पर नेताओं के दर्शन नहीं करता, उनके प्रवचन नहीं सुनता वैसे ही अखबारों में भी नेताओं की बातों पर ध्यान नहीं देता । मै नौन,तेल ,लकड़ी से ही नहीं उबर पाता फिर भी सबकी बातें कानों में पड़ ही जातीं हैं। मै कभी-कभी सोचता हूँ कि यदि राहुल गांधी शाहजादे हैं तो फिर अम्बानी और अडानी के तो जिल्लेइलाही से बढ़कर ही होंगे,क्योंकि उनके पास तो राहुल गाँधी और नरेंद्र भाई मोदी से ज्यादा धन-दौलत है । अडानी और अम्बानी तो कभी देश जोड़ने सड़कों पर नहीं निकलते। उन्हें तो देश में नौन ,तेल,लकड़ी आटा का भाव मालूम नहीं होगा !

हमारे देश की जनता बड़ी भोली-भाली है ,आजकल तो आधी जनता अंधभक्ति में भी डूबी है। जनता माननीय मोदी जी की बात पर भरोसा कर जैसे राहुल गांधी को शाहजादा नहीं मान रही मुझे लगता है कि प्रियंका के कहने पर मोदी जी को शहंशाह नहीं मानेगी।बकौल मोदी जी कांग्रेस और कांग्रेस के नेता विश्वास खो चुके हैं। इस समय देश में शहंशाह तो हमारे अमिताभ भाई बच्चन ही हैं। हाँ मोदी जी राजनीति के शहंशाह हो सकते हैं ,क्योंकि उनके पास सब कुछ है लेकिन एक अदद साइकल नहीं है।अब तो माँ भी नहीं है । पत्नी को वे पहले ही त्याग चुके हैं भारत में जिस देश के पास साइकिल भी न हो,माँ न हो ,पत्नी न हो उसे शहंशाह कहना भारत में शहंशाह रहे तमाम शंशाहों की तौहीन है। खुला अपमान है।
बहरहाल दाल-भात में मूसलचंद की तरह माननीय मोदी जी ने जब बार-बार पाकिस्तान को भारत के चुनावों में घसीटा तो वो सचमुच भारत आ ही गया । पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पूंछ में भारतीय वायुसेना के काफिले पर हमला कर दिखा दिया कि पाकिस्तान के आतंकी किसी 56 इंच के सीने वाले से नहीं डरते। पाकिस्तान को इस हिमाकत की सजा मिलना चाहिए। मुमकिन है कि मतदान का तीसरा चरण पूरा होते-होते ये छोटा सा आतंकी हमला पुलवामा काण्ड की तरह बड़ा स्वरूप ले ले। भले ही ये सब देशहित में नहीं होगा लेकिन इससे सत्तारूढ़ दल की डूबती नाव तो बचाई जा सकती है। मुझे कभी -कभी आशंका होती है कि मोदी जी राहुल की तरह बार-बार पाकिस्तान को भी उकसाते रहते हैं कि -‘आ बैल मुझे मार ”

मोदी जी सनातनी आदमी हैं। सनातन को मानते हैं लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग को नही। वैसे ये उनके मन की बात है । पिछले दिनों जब इसरो के वैज्ञानिकों ने अपना तमाम कामकाज छोड़कर माननीय के निर्देश पर रामलला को सूर्यतिलक कराया था तब माननीय मोदी जी आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए अयोध्या नहीं गए था । उन्होंने अपने हैलीकाप्टर में ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बाकायदा अपने जूते उतारकर इस दृश्य को देखा था। लेकिन अब मोदी जी का मन बदल गया है। वे उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी की वापसी के बाद अयोध्या जाकर न सिर्फ वहां रोड शो करेंगे बल्कि रामलला के दर्शन भी करेंगे । अब किसी आदर्श आचार संहिता का उललंघन नहीं होगा। हो भी जाये तो कौन परवाह करता है।? रामलला बड़े कि केंचुआ ?

संयोग से हमारे देश की आदर्श चुनाव संहिता में चुनाव प्रक्रिया के चलते दल-बदल करने पर कोई रोक नहीं है। इसी का लाभ लेते हुए भाजपा कांग्रेस के हाथों से उनके ‘बम’ ही नहीं छुड़ा रही बल्कि फेयर एंड लवली को भी अपनी पार्टी में शामिल करने से नहीं हिचक रही। एन मतदान के दिन तक दल-बदल स्वीकार कर रही है । मियाँ-बीबी राजी तो क्या करेगा काजी ?’ कांगेसी यदि भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो मोदी जी क्या करें ? शरणार्थी को वापस लौटा दें ? ये तो राजधर्म नहीं है न ? राम जी ने कभी बिभीषण और उसके बाद आने वाले राक्षसों को वापस लौटाया था क्या ? अर्थात रामभक्त और रामदास भाजपा का शरणार्थी शिविर खुला था सो खुला ही रहेगा कांग्रेसियों के लिए। कांग्रेस में जब भी किसी का दिल टूटे,उपेक्षा हो तो वो बेधड़क भाजपा में शामिल हो सकता है। भाजपा का कांग्रेसीकरण ही भाजपा कि प्राथमिकता है। कांग्रेसियों को शासन करने और भ्र्ष्टाचार करने में महारत हासिल है और भाजपा को इसकी सख्त जरूरत है चार सौ पार करने के लिए।

माननीय मोदी जी कितने दरियादिल हैं इसका उदहारण हाल ही में देखने में आया। माननीय मोदी जी ने बिहार में विहार करते हुए दरभंगा में पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव को भी शाहजादे की उपाधि दे दी। ठीक वैसे ही जैसे कि -‘जो संपति सिव रावनहि, दीन्हि दिएँ दस माथ।. सोइ संपदा बिभीषनहि, सकुचि दीन्हि रघुनाथ। मोदी जी आखिर मोदी जी हैं। किसी को भी राजा और किसीको भी रंक बना सकते हैं। अरविंद केजरीवाल को ही देख लीजिये। हेमंत को देख लीजिये। इधर अडानी को देख लीजिये ,अम्बानी को देख लीजिये। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं। मोदी जी कि दरियादिली का लाभ पूर्व संसद बृजभूषण सिंह के बेटे को भी मिला और पंडित टैनी के बेटे को भी। मै इस आधार पर कह सकता हूँ कि जितना समाजवाद भाजपा में है उतना किसी और दल में नहीं।

मुझे भी 7 मई को मतदान करने जाना है। सोच रहा हूँ कि मैं भी किसी शाहजादे कि तरह वोट डालने जाऊं । हालांकि मै शाहजादा नहीं हू। मेरे पिता सरकारी अफसर जरूर थे। हाँ मैंने कभी चाय नहीं बेचीं। शाहों के लड़के चाय बेचते भी नहीं हैं। वे क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को कंट्रोल करते हैं। कुल जमा ये कि आप इस उठापटक के बीच 7 मई को तीसरे चरण के मतदान में निष्ठा से हिस्सा लीजिये। आपको शहंशाह चुना है या जिल्लेइलाही ? ये आप खुद तय करें ?
@ राकेश अचल
achalrakesh1959@gmail.com

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