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उत्तराखंड :क्या एक वीडियो से मुख्यमंत्री की छवि धूमिल हो गई? एफआईआर पर उठे सवाल

इन्द्रेश मैखुरी

एक वीडियो पोस्ट करने पर युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का मामला तूल पकड़ने लगा है। हालत यह है कि वीडियो से  सरकार की छवि इतनी धूमिल नहीं हुई है जितनी कि एफआईआर दर्ज करने से हो रही है। भाकपा माले के महासचिव इन्द्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है। 

 श्री मैखुरी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि एक  छात्र पर आपके मान को ठेस पहुंचाने के नाम पर मुकदमा दर्ज करवाया गया है। कहा जा रहा है कि उसने एक वीडियो अपलोड किया,जिससे आपकी छवि को धक्का लगा। 

जो वीडियो अपलोड किया गया,उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई। बल्कि संबोधन को न समझने के चलते,एक टिप्पणी लिखी गयी,जो उचित नहीं थी। जिस छात्र आयुष कुकरेती पर मुकदमा दर्ज करवाया गया है, उसे भी संभवतः यह बात थोड़ी देर में समझ में आ गयी। इसलिए उसने, वह वीडियो और टिप्पणी अपने फेसबुक एकाउंट से डिलीट कर दी। जहां तक मेरी जानकारी है, डिलीट करने का यह काम , एफ.आई.आर दर्ज करवाई जाने से पहले किया जा चुका था।  जब व्यक्ति स्वयं गलती महसूस करके पोस्ट डिलीट कर चुका तो उस पर मुकदमा क्यों? एफ.आई.आर.करने वाले का क्या हित या स्वार्थ है। यह तो मैं कह नहीं सकता। लेकिन आपकी छवि की जो चिंता,उन महाशय ने प्रकट की है। प्रथम दृष्टया वह तो असल बात नहीं मालूम पड़ती है। जरा सोचिए,उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की छवि एक ऐसी पोस्ट से खराब होगी,जो डिलीट की जा चुकी है और बी.एस.सी. तृतीय वर्ष के एक मेधावी छात्र को जेल भेजने से वह छवि चमकने लगेगी,क्या यह तर्कसंगत बात है?

 

मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभिन्नता या विरोध, नीतिगत होना चाहिए, व्यक्तिगत नहीं।

निश्चित ही यह बात उस युवक को भी सीखनी है, जिसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया है। लेकिन एक ऐसा छात्र जो इंस्पायर स्कॉलरशिप पर बी.एस.सी. की पढ़ाई कर रहा है,जो बेहद सृजनशील है, क्या उसे लोकतंत्र का यह मूलभूत सबक जेल भेज कर सिखाया जा सकेगा ? एक संभावना शील छात्र की एक छोटी भूल के लिए क्या आपका नाम ले कर,उसके साथ अपराधियों जैसा सलूक करने की छूट दी जानी चाहिए?

पत्र में मैखुरी ने कहा कि आप  हों या कोई अन्य मुख्यमंत्री हों,उनकी छवि इतनी कोमल,नर्म, मुलायम नहीं हो सकती कि वह किसी के लिखने,बोलने भर से धूमिल हो जाये। हां, जब राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा,रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं नागरिकों को ठीक से उपलब्ध नहीं होती,तब जरूर एक नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है।  अभी दो-चार दिन पहले की ही तो बात है कि गंगोलीहाट की विधायक श्रीमति मीना गंगोला जी की गर्भवती देवरानी को तक ठीक से इलाज न मिल सका और उनके नवजात शिशु को नहीं बचाया जा सका।  चांद और मंगल पर बस्ती बसाने का मंसूबा रखने वाले देश में ऐसी घटनाएं हैं, जो छवि और साख दोनों पर बट्टा लगाती हैं। 

जब से उक्त छात्र पर मुकदमा दर्ज होने की खबर आई,उसके तुरंत बाद ही यह चर्चा भी चलने लगी कि देहरादून से उक्त छात्र को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम निकल चुकी है ! उक्त छात्र कोई दुर्दांत अपराधी या आतंकवादी नहीं है, जिसका खुला घूमना राज्य के लोगों के जानमाल के लिए खतरा हो। 
मैखुरी ने पत्र में कहा कि आपसे यह निवेदन है कि एक मेधावी छात्र को,अपराधी बनाने और आपराधिक न्याय प्रणाली (criminal justice system) के अंतहीन चक्र में धकेलने के इस (कु) प्रयास को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें और उक्त छात्र-आयुष कुकरेती के विरुद्ध दर्ज मुकदमा रद्द करने का आदेश देने की कृपा करें। आपसे त्वरित हस्तक्षेप का निवेदन इसलिए भी क्योंकि एक मेधावी और संभावनाशील छात्र,का भविष्य, आपकी छवि की आड़ लेकर कुछ लोगों द्वारा तबाह करने की कोशिश हो रही है। 

स्थिति की गंभीरता को समझते हुए,आप तत्काल हस्तक्षेप करते हुए एफ.आई.आर.रद्द करने का आदेश दें,यही आग्रह है।

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