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फुलेरा दूज पर क्यों खेली जाती है फूलों की होली? जानिए कैसे हुई इसकी शुरुआत

@शब्द दूत ब्यूरो (09 मार्च 2024)

फुलेरा दूज फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल 12 मार्च, मंगलवार को यह त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन लोग राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं. इस खास दिन पर लोग मथुरा और वृंदावन राधा-कृष्ण की मूर्तियों और मंदिरों को सुंदर फूलों से सजाते हैं. इसके अलावा लोग राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में, फूलों से होली खेलते हैं. साथ ही फूलों के गुलदस्ते का आदान-प्रदान करते हैं. फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और गुलाल उड़ाया जाता है.

शुभ कार्यों के लिए खास फुलेरा दूज

फुलेरा दूज फाल्गुन माह का बेहद खास और पवित्र दिन है. यह दिन दोषों से रहित होता है, जिसके फलस्वरूप इस दिन कोई भी शुभ कार्य संपन्न हो सकता है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे ही किया जा सकता है, इसलिए इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि फुलेरा दूज पर शादी-विवाह करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और साथ ही इस दिन किए गए किसी भी मांगलिक कार्य में सफलता मिलती है.

फुलेरा दूज का महत्व

वैवाहिक रिश्तों को मधुर और गहरा बनाने के लिए भी यह त्योाहार मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्री कृष्ण प्रेम के प्रतीक के रूप में लोगों में लोकप्रिय हुए थे. फुलेरा दूज का त्योहार होली की शुरुआत का प्रतीक होता है. फुलेरा दूज शीतकालीन शादियों के लिए आखिरी शुभ दिन या शुभ मुहूर्त भी होता है.इस दिन भक्त सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद पाने के लिए भगवान कृष्ण का व्रत और पूजा करते हैं.

फुलेरा दूज क्यों मनाया जाता है?

ऐसा कहा जाता है कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन फुलेरा दूज पर भगवान कृष्ण ने होली खेलना शुरू किया था. श्रीकृष्ण ने राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ फूलों वाली होली खेली. तब से अब तक उनके शिष्यों ने ब्रज में फुलेरा दूज पर फूलों की होली खेलना शुरू किया था.

फुलेरा दूज पर फूलों की होली क्यों खेली जाती है?

एक पौराणिक के अनुसार, भगवान कृष्ण की प्रेमिका राधा रानी उनसे नाराज थीं क्योंकि श्रीकृष्ण लंबे समय से उनसे नहीं मिले थे और उनकी अनुपस्थिति के कारण फूल और मवेशी मरने लगे थे. यह जानने पर, कृष्ण तुरंत मथुरा आए. जिस दिन वे मथुरा आए उस दिन फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि थी. श्रीकृष्ण के वापस मथुरा आने से राधा रानी खुश हो गई और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई. नाराज राधा रानी को मनाने के लिए कृष्ण ने खिल रहे एक फूल को तोड़ा और राधा रानी को छेड़ने के लिए उन पर फेंक दिया. राधा ने भी ऐसा ही किया. यह देखकर वहां पर मौजूद गोपियों ने भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने शुरू कर दिए. इसलिए इस दिन फूलों वाली होली खेलने की परंपरा है.

फुलेरा दूज का दिन होली की तैयारियों की शुरुआत का भी प्रतीक है. ब्रज और वृंदावन में इस दिन भजन, कीर्तन और फाग गीत गाए जाते हैं. घर में भगवान कृष्ण को गुलाल और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा, फुलेरा दूज को राधा और कृष्ण के मिलन के दिन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन चंद्रमा मीन राशि में प्रवेश करता है और उनके जीवन में खुशहाली लाता है. सुखी जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं.

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