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महाशिवरात्रि पर किस पूजा से मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद, जानें क्या है विधान और महत्व

@शब्द दूत ब्यूरो)04 मार्च 2024)

सनातन परंपरा के अनुसार, महाशिवरात्रि को हिंदुओं का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है. इस दौरान भोलेनाथ की पूजा का खास महत्व होता है. महाशिवरात्रि के मौके पर महादेव के भक्त उनकी पूरी विधि-विधान से पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करना लोगों के लिए काफी फलदायी होता है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने वाले भक्तों की भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व देवों के देव महादेव को समर्पित होता है और ये पर्व हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और ये इस साल 8 मार्च को पड़ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सभी शिवभक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. भोलेनाथ की पूरे साल की पूजा का फल केवल महाशिवरात्रि के दिन पूजने से मिल जाता है.

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व

पंडित दिलीप द्विवेदी ने बताया  कि सनातन परंपरा के मुताबिक, अगर किसी की शादी में विपदाएं आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने पर विवाह में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और लोगों के बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं. इसके अलावा अगर आपके घर में धन संपत्ति की कमी चल रही हो तो महाशिवरात्रि के दिन शमी के पत्ते शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं. इसके बाद उसे अपने घर की तिजोरी के लॉकर में रख दें. इस उपाय को करने से पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतों से लोगों को मुक्ति मिल जाती है.

महाशिवरात्रि पूजा विधि

  • महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले दिनभर शिव मंत्र (ऊं नम: शिवाय) का जाप करें और रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं.
  • महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करें.
  • महाशिवरात्रि के दिन दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें.
  • महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ऊं नम: शिवाय का जाप करें.
  • भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती और परिक्रमा करें.

शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है. महाशिवरात्रि के दिन शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प लें और इस मंत्र का जाप करें.

ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये

महाशिवरात्रि का महत्व

ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखना शिवभक्तों के लिए काफी फलदायी माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन सभी शिवभक्त शिवलिंग पर सुबह जल्दी स्नान कर जल और बेल पत्र अवश्य चढ़ाएं. साथ ही दूध भी अर्पित करें. इसके साथ ही शिव मंत्र का जाप करें. महाशिवरात्रि के व्रत में लोगों को फलाहार ही करना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि का दिन सबसे बेहतर होता है.

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