@शब्द दूत ब्यूरो (18 फरवरी 2024)
काशीपुर। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत अपने पुत्र आनंद रावत को हरिद्वार लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने की वकालत कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने ये निर्णय पार्टी पर छोड़ दिया है। उधर उनके पुत्र आनंद रावत नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं।
आनंद रावत ने आज शब्द दूत से हुई एक संक्षिप्त बातचीत में कहा कि यदि पार्टी उन्हें नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से भी प्रत्याशी के तौर पर अवसर देती है तो वह तैयार है। यहां बता दें कि आनंद रावत पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं। नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में वह काफी सक्रिय भी रहे हैं। ऐसे में आनंद रावत की नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से दावेदारी अपने आप में अहम है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के निर्णय के साथ है। आम नेता पुत्रों से आनंद रावत की एक अलग छवि है। नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में युवाओं पर आनंद रावत की अच्छी पकड़ है।
आनंद रावत ने कहा कि युवाओं को अब रोजगार व अपने भविष्य को तय करना होगा। आनंद रावत भू कानून और मूल निवास को उत्तराखंड राज्य आंदोलन का प्रमुख आधार मानते हैं। भू कानून को लेकर आनंद रावत की सोच उत्तराखंड के तमाम उन लोगों से मिलती है जो कि भू कानून और मूल निवास के लिए आंदोलनरत हैं।
उन्होंने मूल निवास और भू कानून को लेकर कहा कि हिमाचल प्रदेश का लैंड रीफ़ॉर्म ऐक्ट 1972 का सेक्शन 118 जिसमे हिमाचल का कृषक ही हिमाचल में कृषि भूमि ख़रीद सकता है कोई बाहरी व्यक्ति नही । ऐसा ही क़ानून उत्तराखंड में बने । चूँकि जिस भूमि पर मकान नही है वो भूमि कृषि भूमि कहलाती है, अगर उसका लैंड उपयोग में बदलाव नही किया गया है ?
उत्तर प्रदेश ज़मींदारी उन्मूलन और लैंड रीफ़ॉर्म ऐक्ट 1950 का सेक्शन 143, में बदलाव किए जाए । जिसके अनुसार भू-उपयोग का अधिकार तहसीलदार के बजाय विधानसभा के पास हो और भू-उपयोग बदलने के लिए मूल निवास अनिवार्य हो ?
मूल निवास की कट ऑफ़ तारीख़ 1985 व्यावहारिक है। क्योंकि उत्तराखंड में 68 से अधिक गोट-खत्ते है, जिसमे क़रीब 15 से 20 लाख की आबादी निवास करती है, जो यहाँ के मूल निवासी है परन्तु राशन कार्ड के अलावा कोई ज़मीन के काग़ज़ात नही है । इसके अलावा कई जनजातीय व खानाबदोश रोज़गार आधारित समुदाय है, जिनके लिए मूल निवास 1985 व्यावहारिक होगा । वैसे प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाने की कट ऑफ़ 1985 है ।
आनंद रावत का मानना है कि भू कानून और मूल निवास से नेताओं के अलावा वकील, सरकारी कर्मचारी, बेरोज़गार युवा, पत्रकार सबको लाभ होगा।