@शब्द दूत ब्यूरो (16 जनवरी 2024)
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जनपद में एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। जी हां यहां कुकुरदेव नाम से एक मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर एक साहूकार ने अपने स्वामी भक्त कुत्ते की याद में बनवाया था। जहां आज भी लोग कुकुरदेव की पूजा अर्चना करते हैं। यहीं नहीं मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है। और कुत्ते की इस प्रतिमा के बगल में शिवलिंग भी स्थापित किया गया है।
सावन के महीने में यहां काफी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। लोग भगवान शिव की तरह कुत्ते की प्रतिमा की भी पूजा करते हैं। दुर्ग जिले के खपरी गांव में ये मंदिर है।
दरअसल कुकुरदेव मंदिर एक स्मारक है। एक वफादार कुत्ते की याद में इसे बनाया गया था। कहते हैं कि सदियों पहले एक बंजारा अपने परिवार के साथ इस गांव में आया था। उसके साथ एक कुत्ता भी था। गांव में एक बार अकाल पड़ गया तो बंजारे ने गांव के साहूकार से कर्ज लिया, लेकिन वो कर्ज वो वापस नहीं कर पाया। ऐसे में उसने अपना वफादार कुत्ता साहूकार के पास गिरवी रख दिया।कहते हैं कि एक बार साहूकार के यहां चोरी हो गई। चोरों ने सारा माल जमीन के नीचे गाड़ दिया और सोचा कि बाद में उसे निकाल लेंगे, लेकिन कुत्ते को उस लूटे हुए माल के बारे में पता चल गया और वो साहूकार को वहां तक ले गया। कुत्ते की बताई जगह पर साहूकार ने गड्ढा खोदा तो उसे अपना सारा माल मिल गया।कुत्ते की वफादारी से खुश होकर साहूकार ने उसे आजाद कर देने का फैसला लिया। इसके लिए उसने बंजारे के नाम एक चिट्ठी लिखी और कुत्ते के गले में लटकाकार उसे उसके मालिक के पास भेज दिया। इधर कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा, उसे लगा कि वो साहूकार के पास से भागकर आया है। इसलिए उसने गुस्से में आकर कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला। हालांकि, बाद में बंजारे ने कुत्ते के गले में लटकी साहूकार की चिट्ठी पढ़ी तो वो हैरान हो गया। उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। उसके बाद उसने उसी जगह कुत्ते को दफना दिया और उस पर स्मारक बनवा दिया। स्मारक को बाद में लोगों ने मंदिर का रूप दे दिया।