नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार शाम 4:30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि इससे भारत में किसी नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप के तेज झटकों से मंगलवार को पाकिस्तान के साथ-साथ भारत कई राज्यों के लोग हिल गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। पाकिस्तान के जातलां में भूकंप का केंद्र बताया गया है। शाम 4 बजकर 30 मिनट के आसपास उत्तर भारत के लोगों को भूकंप के झटके लगे। पाकिस्तान में कई जगहों पर भूकंप से सड़कें टूट गईं और गाड़ियां पलट गई हैं। वहीं, जातलां में एक महिली की मौत की भी खबर है।
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। इनमें जम्मू कश्मीर और चंडीगढ़ भी शामिल हैं। भूकंप की तीव्रता 5.8 रिक्टर स्केल थी, जबकि इसका अधिकेंद्र लाहौर से उत्तर पश्चिमी दिशा में 173 किलोमीटर की दूरी पर था।
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई इलाके भूकंप के लिहाज से खतरनाक इलाकों में आते है। खासकर सिस्मिक जोन 5 (पांच) भूकंप के लिहाज से देश का सबसे खतरनाक इलाका है।
देश की बाकी जगहें सिस्मिक जोन 2 में आते हैं, ये भूकंप के लिहाज से कम खतरनाक है, यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है।
जोन 3 को भूकंप के लिहाज से मध्यम खतरे वाला माना जाता है। इस जोन में केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, रास्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं।
सिस्मिक जोन 4 भी भूकंप के लिहाज से काफी खतरनाक माना जाता है. यहां सात से 7.9 तीव्रता तक भूकंप आ सकते हैं। इस जोन में राजधानी दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है।
सिस्मिक जोन 5 का मतलब है कि यहां आठ की तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आ सकता है। इस जोन में देश का पूरा नॉर्थ ईस्ट इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है।
पृथ्वी बारह टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है, जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में है। ये प्लेटें लावे पर तैर रही होती हैं। इनके टकराने से ही भूकंप आते हैं। टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं और खिसकती भी हैं। हर साल ये प्लेट्स करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। इस क्रम में कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। जिनकी वजह से भूकंप आते हैं।
यहां पर बता दें कि दिल्ली जोन-4 में आता है, जबकि मुंबई और कोलकाता जोन-3 में में है। यह अलग बात है कि अब तक देश के प्रमुख शहरों में शुमार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। दिल्ली भूकंप जोन-4 में स्थित है, ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना है। एतिहासिक संकेतों के मुताबिक, एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। यह सबक बिहार में 1934 और असम में 1950 में आए भूकंप से मिलता है।
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, 1950 के असम के भूकंप ने हिमालय में एक बड़े भूकंप की जमीन तैयार कर दी है। इस भूकंप के बाद 65 साल बीत गए हैं और संभव है कि कोई विकराल भूकंप आने ही वाला हो।
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी। वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।