क्राउड फंडिंग ‘ एक लोकप्रिय फंडा है । इससे जनता द्वारा सीधे नगद सहायता हासिल की जाती है। क्राउड फंडिंग सोशल मीडिया पर बहुत बाद में चलन में आया लेकिन ये फण्डा है बहुत पुराना । किसी बीमार की मदद से लेकर देश की आजादी के आंदोलन तक के लिए समझदार लोगों ने क्राउड फंडिंग ‘ का फार्मूला अपनाया है । साल 2023 के अंत में देश की सबसे पुरानी लेकिन सबसे कमजोर पार्टी कांग्रेस ने ‘ ‘ क्राउड फंडिंग ‘ का अभियान आरम्भ किया है।
देश में अधिकांश राजनीतिक दल या तो जनता के पैसे से चलते हैं या उद्योगपतियों के पैसे से । राजनीतिक दलों को जो पैसा देता है वो ही इन दलों का नीति नियंता भी हो जाता है। इसलिए महात्मा गाँधी जैसे लोगों ने जनता से पैसा लेना ज्यादा ठीक समझा। कालांतर में राजनीतिक दलों को धन संग्रह की समस्या से निबटने के लिए चुनावी बॉण्ड प्रणाली अपनायी गयी। वर्ष 2017 में एक वित्त विधेयक के माध्यम से इसे वर्ष 2018 में लागू किया गय। चुनावी बॉण्ड दाता की गुमनामी बनाए रखते हुए पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देने के लिये व्यक्तियों और संस्थाओं हेतु एक साधन के रूप में काम करते है। चुनावी बॉण्ड केवल वे राजनीतिक दल ले सकते हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं, या जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिये डाले गए वोटों में से कम-से-कम 1
फीसदी वोट हासिल किये हों।
चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनितिक दलों ने खूब पैसा जमा किया। कांग्रेस समेत चार अन्य क्षेत्रीय दलों ने १२४५ करोड़ रूपये जमा भी किये लेकिन सबसे ज्यादा पैसा सत्तारूढ़ भाजपा को मिला। चुनावी बांड पहली बार वर्ष 2018 में जारी हुआ और तब से लेकर अब तक 11 बार जारी किया जा चुका है इसमें बांड खरीदकर आप किसी भी सियासी दल को पैसा दे सकते हैं. इस बांड पर कोई ब्याज नहीं मिलता। धन संग्रह की ये योजना जल्द ही अदालती फेर में पड़ गयी। सुप्रीम कोर्ट इन दिनों मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 05 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के जरिए राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
इस बारे में अदालत चार याचिकाओं पर विचार करने वाली है. केंद्र सरकार की ओर से इस पर अपना पक्ष रखा गया है. 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए एक हलफनामे में, केंद्र सरकार ने चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संबोधित किया है। उन्होंने बताया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने शीर्ष अदालत को बताया कि नागरिकों को चुनावी बांड के स्रोतों को जानने का सामान्य अधिकार नहीं है ।एक आधिकारिक आंकड़े के मुतबिक इलेक्टोरल बांड के जरिए अब तक 5851 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं। इस साल मई माह में 822 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड खरीदे गए। जनवरी से लेकर मई 2019 तक भारतीय स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं के जरिये 4794 रुपये के बांड खरीदे गए. जबकि इससे पहले 2018 में 1000 रुपये की बांड खरीदी हुई थे।
दस साल से सत्ता से दूर कांग्रेस इस समय धन की कमी से जूझ रही है । भाजपा ने चुनाव इतना मंहगा कर दिया है की अब कांग्रेस जैसी पार्टी के लिए उसका सामना कठिन हो गया है । विपक्ष में होने की वजह से उसे चन्दा भी नहीं मिल पा रहा है । कांग्रेस को चंदा देने की चाहत रखने वाले लोग ईडी और सीबीआई से डरने लगे हैं। ऐसे में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने फंड जुटाने के लिए ‘क्राउड फंडिंग अभियान’ शुरू किया है. कांग्रेस ने इसे ‘डोनेट फॉर देश’ नाम दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 1 लाख 38 हजार रुपये दान कर इस अभियान की शुरुआत की। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और कोषाध्यक्ष अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 18 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति 138, 1380, 13800 या 1,38,000 रुपये का दान दे सकता है.
दरअसल कांग्रेस 138 साल की यात्रा का जश्न मना रही है. इसलिए लोगों से 138 के गुणांक में चंदा देने की अपील की गई है। कांग्रेस का ये अभियान महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ‘तिलक स्वराज फंड’ से प्रेरित है, जिसे 1920-21 में शुरू किया गया था। कांग्रेस के इस अभियान को लेकर भाजपा के पेट में मरोड़ हो रही है। भाजपा ने इसे लेकर कांग्रेस को घेरा है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि जिन्होंने 60 साल तक देश को लूटा, वो अब उसी देश से चंदा मांग रहे हैं। कांग्रेस का ऑनलाइन क्राउड फंडिंग “डोनेट फॉर देश”,का मकसद एक बूथ के 10 घर तक दस्तक देने का है । राजस्थान में कांग्रेस की ओर से पिछले विधानसभा चुनाव 2018 से पहले क्राउड फंडिंग अभियान शुरू किया गया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी क्राउड फंडिंग अभियान में दान दिया। दान देने के बाद राहुल ने कहा कि प्रगतिशील भारत के लिए यह उनका योगदान है। इसी के साथ उन्होंने लोगों से भी अभियान का हिस्सा बनने के लिए आग्रह किया है। गांधी ने अपने दान की राशि सार्वजनिक नहीं की। क्राउड फंडिंग से कांग्रेस को फंड और क्राउड दोनों हासिल करना है । कांग्रेस को इस अभियान में कितनी कामयाबी मिलेगी कहा नहीं जा सकता ,क्योंकि इस समय देश तो राम नाम में डूबा हुआ है। राजनीतक दलों के पास जितनी राज्य सरकारें होतीं हैं उसे उतना ज्यादा पैसा मिलता ह। खुद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राज्य सरकारों को राजनितिक दलों का एटीएम बता चुके हैं। इस समय भाजपा के पास सबसे ज्यादा और कांग्रेस के पास सबसे कम एटीएम हैं। आम आदमी पार्टी भी दो एटीएम की मालिक है। लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समा पार्टी के पास कोई एटीएम नहीं है।
@ राकेश अचल
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