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संसद भवन विवाद: विपक्ष ने चला ‘दलित-आदिवासी’ का दांव, अपने ही जाल में फंसी भाजपा

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (26 मई, 2023)

संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच रार मची हुई है। दोनों के बीच पनपा गतिरोध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। लगभग 19 राजनीतिक दलों ने संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। विपक्ष का कहना है कि देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति को समारोह में न बुलाकर भाजपा ने लोकतंत्र का अपमान किया है। साथ ही इस मामले में विपक्षी दलों ने ‘भाजपा’ का दांव, भाजपा पर ही चल दिया है।

विपक्षी दलों ने कहा, जब संसद के नए परिसर का भूमि पूजन किया गया, तब भी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया। भाजपा ने कोविंद को राष्ट्रपति बनाकर यह बताने का प्रयास किया था कि वह दलित समाज के हितों का कितना ख्याल रखती है। इसके बाद जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनीं, तो भाजपा ने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने का खूब प्रचार किया था। उस वक्त इन दोनों बातों को भाजपा का चुनावी दांव बताया गया। अब राहुल से लेकर केजरीवाल तक ने उसी दांव को भाजपा के खिलाफ चल दिया है। जानकारों का यह भी कहना है कि विपक्षी नेता ‘दलित-आदिवासी’ नाव में सवार हो कर ‘2024’ देख रहे हैं।

2017 में रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बने, तो भाजपा ने उसे खूब भुनाया था। जब राष्ट्रपति पद के चुनाव में उनकी उम्मीदवारी का एलान हुआ तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कई बार ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल किया था। भाजपा, कोविंद के नाम को इतने एग्रेसिव तरीके से लोगों के बीच ले गई कि विपक्ष को भी दलित समाज से आने वाली मीरा कुमार का नाम आगे करना पड़ा। उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका फायदा भी मिला।

गत वर्ष जब द्रौपदी मुर्मू, देश की राष्ट्रपति बनीं तो भाजपा ने उन्हें पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने का प्रचार प्रसार किया था। यहां तक कि जब कांग्रेस और भाजपा के बीच किसी मुद्दे पर तकरार हुई तो भाजपा ने कहा, कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि एक आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च पर आसीन हुई हैं। भाजपा ने शीर्ष नेतृत्व ने सार्वजनिक मंचों से यह बात कही। तब भी विपक्षी नेताओं ने दबी जुबान में कहा था कि ये सब 2024 के चुनाव में आदिवासी वोट लेने का एजेंडा है।

संसद के नए भवन के उद्घाटन पर अब विपक्ष ने भाजपा का वही ‘दांव’ भाजपा पर ही चल दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, संसद संवैधानिक मूल्यों से बनती है, न कि अहंकार की ईंटों से। संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों नहीं कराया जाना और समारोह में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाना, यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।

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