
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक
आज अपना 43 वां जन्मदिन मना रही भाजपा के लिए सचमुच खुश होने का मौका है, क्योंकि आज भाजपा भारतीय राजनीति में शिखर पर है, यद्यपि भाजपा को अभी कांग्रेस जैसा प्रचंड बहुमत हासिल नहीं हुआ है। भाजपा पिछले चार दशक में 02 से 303 लोकसभा सीटें हासिल कर चुकी है।
मैदानी उपलब्धियों के लिहाज से भाजपा बधाई की पात्र है। भाजपा ने जो हासिल किया, अपने बूते पर किया।साम,दाम,दंड,भेद से किया। छोटे -छोटे दलों को साथ लेकर किया। प्रेम से किया या नफ़रत से किया, ये बताने की आवश्यकता नहीं है। भाजपा अजेय भले न हो लेकिन अबूझ जरूर है। भाजपा 1951 में जन्मी जनसंघ का विराट रूप है। भाजपा के इस विराट रूप में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर नरेंद्र मोदी जैसे असंख्य चेहरे हैं।
भाजपा ने बीते चार दशक में अपने आपको भी बदला है और देश की राजनीति को भी। भाजपा की वजह से आज कांग्रेस सड़कों पर है। बहुत से लोग सड़कों पर हैं। जिन्हें शीर्ष पर होना चाहिए था वे मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा है।जो बच गए हैं उन्हें हासिए पर रख दिया गया है।
दरअसल भाजपा आज एक ऐसी हकीकत है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता भाजपा बीते नौ साल में भले ही देश का भूगोल न बदल सकी हो लेकिन भाजपा ने देश का इतिहास बदलने का दुस्साहस जरूर किया है। देश में इसका विरोध भी हो रहा है और समर्थन भी मिल रहा है। देश में कांग्रेस, वामदलों के बाद भाजपा अकेला ऐसा दल है जो अपने ढंग की राजनीति कर रहा है।
इस देश में भाजपा अस्पर्शता से बची हुई है। भाजपा ने अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को बधिया कर दिया है। जो दल भाजपा की मार से बचें हुए हैं।वे या तो भाजपा के पिछलग्गू है या फिर मौन समर्थक। विरोध में खड़े दल एक नहीं है।इसे भी भाजपा की उपलब्धि कहा जा सकता है।
सब जानते हैं कि यदि देश में आपातकाल न लगता तो शायद भाजपा क जन्म ही नहीं होता। 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे 1977 के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद 1980 में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही।( इसका बड़ा कारण 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उनके बेटे राजीव गांधी को सहानुभूति की लहर थी) इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये 1996 में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो 13 दिन चली।
सन 1998 में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। 2004 के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अगले 10 वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई।
एक दशक बाद 2014 के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और 2014 में सरकार बनायी। इसके अलावा दिसम्बर 2017 के अनुसार भारतीय जनता पार्टी भारत के 29 राज्यों में से 19 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है।
भाजपा को कांग्रेस जैसा बनने में अभी कुछ दशक और चाहिए, लेकिन जनता भाजपा को इतनी मोहलत देगी, कहा नहीं जा सकता। भाजपा के पास विशाल संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बैकअप है,बैकबोन भी है। इसके भरोसे भारत का चाल, चरित्र और चेहरा बदलने की कोशिश कर रही है भाजपा को लेकर नाक -भौह सिकोड़ने वाले लोग कम नहीं हैं, किंतु अभी भाजपा की बढ़त किसी से रुक नहीं रही। कांग्रेस से भी नहीं। भाजपा ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
मै उस जमात से हूं जिन्होंने भाजपा को पालने में देखा है। भाजपा को चलने फिरने लायक बनाने वाले स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी को में निजी तौर पर भी जानता हूं। दोनों ग्वालियर शहर के मतदाता रहे। दोनों ने राम-राम कहते हुए भाजपा को आकार दिया था। मोदी ने उसी भाजपा को खूंखार बना दिया। भाजपा के नाम से लोग अब कांपने लगे हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय भाजपा के पर्यायवाची बन चुके हैं।
आज 43 साल की भाजपा सवा सौ साल की कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। कांग्रेस के पास संगठन के साथ ही नेतृत्व का संकट है। कांग्रेस की आक्रामकता क्षीण हो चुकी है।भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस में जान आई थी, लेकिन इतनी नहीं कि भाजपा को सत्ताच्युत कर सकें। भाजपा के नेतृत्व में भारत विश्वगुरू बनेगा या नहीं, ये कहना कठिन है, लेकिन एक बात है कि भाजपा को मुगलकाल की तरह आजाद भारत के इतिहास से विलोपित नहीं किया जा सकता।
भाजपा और उसके नेता सुखी रहें, सत्ता में रहें,देश की सेवा करते रहे। संवैधानिक संस्थाओं पर हावी न हो, राजनीति में अदावत को त्याग दें यही शुभकामनाएं हैं।
@ राकेश अचल