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ध्रुपद-धमार की याद में पंजाबी पॉप@ संगीत समारोह में तानसेन की धूमिल हो रही प्रतिष्ठा पर वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की खरी खरी

संगीत सम्राट तानसेन समारोह की याद में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह की पहली ही सभा में तानसेन की आत्मा रो पड़ी। समारोह के जरिए अपनों को उपकृत करने के लिए शुरू किए गए ‘गमक’कार्यक्रम में पद्मश्री हंसराज ने ध्रुपद जैसे ठेठ भारतीय शास्त्रीय संगीत के साधक संगीत सम्राट तानसेन को पंजाबी पॉप सुनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मैंने समारोह शुरू होने से पहले ही लिखा था कि तानसेन समारोह की प्रतिष्ठा को धोया जा रहा है।गमक की प्रस्तुति ने इसे प्रमाणित कर दिया। हंसराज हंस मेरे भी प्रिय कलाकार हैं, लेकिन वे तानसेन समारोह के मंच पर आमंत्रित किए जाने वाले संगीतज्ञ है, लेकिन वे चूंकि भाजपा के सांसद रहे हैं इसलिए आसानी से उपलब्ध भी थे और उन्हें उपकृत कर दिया गया।

हंस ने कब्बाली ” सुनो महाराज जगत के बाली..,
अमीर खुशरो का प्रसिद्ध कलाम ” छाप तिलक सब छीनी रे मो से नैना मिलाय के.सुनाया। यहां तक गनीमत थी, किंतु हंस फौरन ही अपने असल रूप में सामने आए। शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम फरमाइशी महफिल में बदल गया।
हंस ने श्रोताओं की फरमाइश पर फ़िल्म कच्चे धागे का गीत “खाली दिल न यो जान भी दा माँग दा ‘इश्क दी गली विच कोई कोई लंघदा'” सुना दिया।हंसराज ने पंजाबी लोकगीत “मैं तेरी खेर मांगा…” सुनाया।

उन्होंने अपना प्रसिद्धि गीत ”ऐ जो सिली – सिली आंदी है हवा…” और “दिल चोरी साडा हो गया में की करिए….”सुना कर श्रोताओं की वाहवाही तो लूटी लेकिन तानसेन और उनकी पूरी बिरादरी का दिल तोड दिया। मै फिर कहता हूं कि यदि इस सबको न रोका गया तो आने वाले वर्षों में तानसेन समारोह ‘ सा,,,ये,,,गा,,,,मां,,,, बन कर रह जाएगा।
@ राकेश अचल

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