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सास से दो कदम आगे एक बहू @राकेश अचल

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

ग्वालियर के सिंधिया घराने की बहू श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे अचानक अपने महल से बाहर निकल कर नगरवासियों के बीच पहुंची तो अखबारों और चैनलों की सुर्खी बन गईं।वे 28 साल पहले ग्वालियर में बहू बनकर आईं थीं।और अचानक उन्होंने अपने लिए शायद नयी भूमिका चुन ली है।
नई इसलिए क्योंकि जिस तरह से उन्होंने सार्वजनिक जीवन में ‘ एन्ट्री ‘ मारी है ,उस तरीके से सिंधिया परिवार की कोई और महिला सक्रिय नहीं हुई।

श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे 1994 में सिंधिया परिवार में शामिल हुईं थीं।वे आज के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी बनकर बड़ौदा से ग्वालियर आईं थीं। पिछले 28 साल से वे महल में ही सीमित हैं।जय विलास पैलेस म्यूजियम के अलावा महल के दीगर मामलों का प्रबंधन उनके हाथ में है। वे सिंधिया परिवार की पहली महिला हैं जो सवा लाख वर्ग फुट के महल को छोड़कर सुबह की सैर के लिए महल से एक किमी दूर स्थित कैंसर पहाड़ी पर गयीं।

पिछले पचास साल से मैं ग्वालियर में हूं लेकिन मुझे याद नहीं आता कि पूर्व ग्वालियर रियासत की अंतिम राजमाता श्रीमती विजया राजे सिंधिया से लेकर और कोई महिला महल छोड़ इस तरह बाहर निकली हो। प्रियदर्शिनी की इस पहल से ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि उन्होंने ने ग्वालियर में प्रदेश के पहले कैंसर अस्पताल की वजह से कैंसर पहाड़ी कहे जाने वाले क्षेत्र का राय बदलने के लिए न केवल रायशुमारी कर डाली बल्कि एक – दो नये नाम भी सुझा दिए।
प्रियदर्शिनी राजे चाहती है कि कैंसर पहाड़ी का नाम या तो संजीवनी हिल हो या शीतला हिल।उनका सुझाव काबिले तारीफ है।इस बारे में पहाड़ी पर कैंसर अस्पताल बनवाने वाले पूर्व मंत्री शीतला सहाय के परिजनों या किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने भी नहीं सोचा था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां श्रीमती माधवी राजे सिंधिया अपने पति माधवराव सिंधिया के रहते उनके राजनीतिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेती थी, लेकिन चुनाव समाप्त होने पर उनकी सक्रियता भी बंद हो जाती थी। माधवराव सिंधिया के आकस्मिक निधन के बाद श्रीमती माधवी राजे कभी सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आयीं। वे ग्वालियर भी जब तब आती हैं।

महल की एक और सदस्य श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया और उनकी मामी श्रीमती माया सिंह को भी किसी ने महल के बाहर सैर करते नहीं देखा।महल के अपने कायदे कानून हैं। इन्हें तोड़ना आसान नहीं होता। राजमाता श्रीमती विजया राजे सिंधिया अपने पति के रहते तात्कालिक परिस्थितियों के चलते राजनीति में सक्रिय हुईं थीं। लेकिन श्रीमती माधवी राजे ने अपनी सास की तरह राजनीति को नहीं चुना।

स्थानीय जन मानस में प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को स्थानीय मीडिया ‘ महारानी ‘ की तरह प्रस्तुत कर रहा है। इसके लिए महल में बाकायदा विशेषज्ञ दल है।इसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया आगे -पीछे राजनीति में सक्रिय हो सकती हैं। हालांकि महल की राजनीतिक विरासत के उम्मीदवार उनके इकलौते बेटे महा आर्यमान सिंधिया हैं।उनकी उम्र भी चुनाव लड़ने की हो गई है।माना जाता है कि भाजपा यदि सिंधिया परिवार पर मेहरबान रही तो 2024 में होने वाले आम चुनाव में महल को पहले की तरह दो सीटों से चुनाव मैदान में उतार सकती है।

सिंधिया परिवार में राजमाता विजया राजे सिंधिया के बाद उनकी दो बेटियां श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया, और श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के अलावा ननद श्रीमती माया सिंह सक्रिय राजनीति में हैं। यदि श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को भी उनके पति श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अनुमति दी तो वो पांचवी महिला होंगी जो राजपथ से लोकपथ पर खड़ी नजर आएंगी।
@ राकेश अचल

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