
अक्षय नवमी सनातन धर्म में एक सर्वोत्तम एवं पवित्र तिथियों में एक महत्वपूर्ण तिथि तथा आरोग्यता एवं वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है। जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आंवला का पूजन,सेवन करने से अनेक लाभ होते हैं।आइए जानते हैं इसके विषय में कुछ जानकारियां।
अक्षय नवमी के दिन किया गया पूजा पाठ,धर्म कार्य एवं दान कभी क्षय नहीं होता अपितु अनंत गुना फलदाई होता है।
आंवला नवमी के दिन स्नान कर आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई कर दूध,जल,फूल एवं धूप दीप आदि से पूजन करना चाहिए।
कहते हैं इस दिन भगवान श्री विष्णु एवं शिव जी स्वयं आंवला वृक्ष में आकर निवास करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार आंवले में तुलसी और बेल दोनो के गुण समाहित होते हैं। एक आंवला आपकी हजार बीमारियां दूर कर देता है। शास्त्रानुसार इस दिन आंवले की पूजा करना चाहिए तथा उसके नीचे बैठकर भोजन करना चाहिए यदि ऐसा संभव न हो तो आंवला अवश्य खाना चाहिए।
चरक संहिता में बताया गया है कि अक्षय नवमी को ही महर्षि च्यवन ने आंवला का पूजन कर आंवला का सेवन किया था जिससे उन्हें पुन: नवयौवन प्राप्त हुआ था। हम आप भी आज के दिन यह उपाय करके नवयौवन प्राप्त कर सकते हैं।
आंवले का रस प्रतिदिन पीने से पुण्यों में बढ़ोतरी होती है और पाप नष्ट होते हैं तथा कई प्रकार के रोगों का समन होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। आंवला खाने के 2 घंटे बाद तक दूध नहीं पीना चाहिए।
इस दिन घर एवं आसपास,किसी मंदिर में,किसी पार्क आदि स्थानों पर जहां हम इस वृक्ष का पालन पोषण एवं रक्षण कर सकें ऐसे स्थानों पर आंवले का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए।
इस दिन कच्चे सूत आँवला वृक्ष पर लपेटते हुए इस मंत्र का जाप करने से बहुत ही लाभ होता है-
दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।
सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।
तथा निम्न मंत्र से आंवले के पेड़ की प्रदक्षिणा करनी चाहिए-
“यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
*तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।”
आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे घी का एक दीपक अवश्य लगाना चाहिए।
आइए वैज्ञानिकता से परिपूर्ण अपने सनातन धर्म का पालन करते हुए अपने त्योहारों को हर्षोल्लास से मनाएं।
।। सबका मंगल हो ।।
आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक”
ग्राम व पोस्ट खखैचा प्रतापपुर हंडिया प्रयागराज उत्तर प्रदेश।
संपर्क सूत्र-09956629515
08318757871