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दीपावली विशेष : मां लक्ष्मी सदा विराजें आपके द्वार, जानिये इस दीवाली पर पल पल का मूहुर्त, मंत्र और पूजा विधि

पंडित सुधांशु तिवारी
(आधत्मिक धर्म गुरू )
वर्ष की सभी अमावस्याओं में कार्तिक अमावस्या श्रेष्ठतम मानी गई है क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को तो सिद्ध किया ही जा सकता है,शक्ति आराधना के लिए भी यह अमावस्या सर्वोपरि मानी गई है। इस दिन भगवान राम असुरों का संहार करके अयोध्या लौटे थे,जिनका दीपोत्सव करके स्वागत किया गया था। दिवाली का दिन लक्ष्मी के स्वागत का दिन है,हम चारों ओर प्रकाश फैलाकर सकारात्मकता के साथ महालक्ष्मी से समृद्धि और सम्पन्नता मांगते हैं।इसमें अंधेरे को दूर कर प्रकाश किया जाता है,इसी तरह हमें अपने अन्दर के विकारों के अन्धकार को मिटाकर अनुशासन,प्रेम,सत्य और सदाचार रूपी प्रकाश से स्वयं को प्रकाशित करना चाहिए।
*दिवाली शुभ मुहूर्त*
इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही है लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी इसलिए दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर अमावस्या शुरू होगी जो मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। 24 अक्टूबर को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है।
*दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त-* 24 अक्तूबर
*लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त -* शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक 
*लक्ष्मी पूजन की अवधि-*  1 घंटा 21 मिनट
*प्रदोष काल -* शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक
*वृषभ काल -* शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक 
*दिवाली लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त*
*लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त -* रात 11: 40 से 12: 31 मिनट तक
*अवधि -*  50 मिनट तक
*दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2022*
*सायंकाल मुहूर्त्त (अमृत,चर)       :*   17:29 से 19:18 मिनट तक
*रात्रि मुहूर्त्त (लाभ)*                    :     22:29 से 24:05 मिनट तक
*रात्रि मुहूर्त्त (शुभ,अमृत,चर )*      :    25:41 से 30:27 मिनट तक
*नरक चतुर्दशी का मुहूर्त-* 24 अक्तूबर
अभ्यंग स्नान समय: 05:04 से 06:27 मिनट तक
*अवधि :* 1 घंटे 22 मिनट
*दिवाली पूजन में इन चीजों को करें शामिल-*
दिवाली पूजन में शंख, कमल का फूल, गोमती चक्र, धनिया के दाने, कच्चा सिंघाड़ा, मोती व कमलगट्टे का माला आदि शामिल करना चाहिए।
*लक्ष्मी पूजन मंत्र-*
 ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
*दिवाली पूजन सामग्री*
रोली, मौली, धूप, अगरबत्ती, कर्पूर, केसर, चंदन, अक्षत, जनेऊ 5, रुई, अबीर, गुलाल, बुक्का, सिंदूर, कोरे पान डन्ठल सहित 10, साबुत सुपारी 20, पुष्पमाना, दूर्वा, इत्र की शीशी, छोटी इलायची, लवंग, पेड़ा, फल, कमल, दुध, दही, घी, शहद, शक्कर, पांच पत्ते, हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, हवन सामग्री का छोटा पैकेट, गिरी गोला-2, नारियल 2, देवी लक्ष्मी की मूर्ति, भगवान गणेश की मूर्ति, सिंहासन, वस्त्र, कलम, बही खाते, ताम्र कलश या मिट्टी का कलश, पीला कपड़ा आधा मीटर, सफेद कपड़ा आधा मीटर, लाल कपड़ा आधा मीटर, सिक्के, लक्ष्मी पूजन का चित्र, श्री यंत्र का चित्र और कमल गट्टे की माला आदि।
*कैसे करें पूजन की तैयारी*
चौकी पर लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रहे। देवी लक्ष्मी, गणपति जी के दाहिनी ओर रहे। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को देवी के पास अक्षत पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटे कि अग्रभाग दिखाई देता रहे। फिर इसे कलश पर रखें। अब दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरे व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दायी ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक भगवान गणेश के पास रखें।
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढ़ेरिया तीन लाईनों में बनाए। लंबोदन की ओर चावल की 16 ढ़ेरियां बनाए। नवग्रह और सोलह मातृका के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाए। इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर अक्षत की ढेरी। सबसे ऊपर बीच में ऊँ लिखें।
देवी लक्ष्मी की ओर श्री का चिन्ह बनाए। गणेश जी की ओर त्रिशूल बनाए व चावल की ढेरी लगाए जो ब्रह्मा जी का प्रतीक है। सबसे नीचे अक्षत की 9 ढ़ेरियां बनाए जो मातृका की प्रतीका है। इसके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात और सिक्कों की थैली रखें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें।
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