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वन्देभारत बनाम देश के ढोर@आवारा पशु किसी की नहीं सुनते, एक बड़ी समस्या पर वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की खरी खरी

राकेश अचल, लेखक देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित होते हैं।

देश की जनता ही नहीं आवारा ढोर-डांगर भी सरकार से टकराने पर आमादा हैं. भैंस के बाद गाय देश की द्रुतगति से चलने वाली वन्दे मातरम रेल से टकरा गयी .बेचारे रेल मंत्री सफाई दे -देकर परेशान हैं ,लेकिन ढोरों को न रेल पर दया आ रही है और न सरकार पर .

गांधीनगर-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस शुक्रवार को गुजरात के आणंद स्टेशन के पास एक गाय से टकरा गई, जिससे ट्रेन का अगला हिस्सा मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हो गया।नई शुरू हुई सेमी-हाई स्पीड ट्रेन ने एक दिन पहले चार भैंसों को टक्कर मार दी थी और इसके आगे के एक हिस्से को बदलना पड़ा था। दरअसल देश की समस्या सेमि है स्पीड ट्रेन नहीं है ,बल्कि आवारा ढोर-डांगर हैं ,लेकिन न केंद्र की और न राज्य की कोई सरकार इस समस्या को समझने और दूर करने के लिए राजी नहीं हैं .

देश में जितने ढोर हैं उतने आश्रय नहीं हैं. जितने ढोर हैं उतने चारागाह नहीं हैं. बेसहारा ढोर-डंगरों के लिए आदिकाल से चरागाह सुरक्षित रखे जाते थे,किन्तु कलिकाल में इन चरागाहों को वोट की राजनीति खा गयी. चरागाहों की जमीनों का बंदरबांट कर दिया गया. ऐसे में ये बेचारे जानवर कहाँ जाएँ. इन्हें जहां भी जगह मिलती है,हरी घास या खाने-पीने के लिए कुछ दिखाई देता है ,जान जोखिम में डालकर वहां रम जाते हैं .
भारत में दुनिया के दुसरे देशों की तरह जैसे मर्दुमशुमारी होती है वैसे ही आवारा जानवरों की भी गिनती की जाती है .लेकिन ये गिनती कैसी होती होगी आप कल्पना कर सकते हैं ? फिर भी हम यदि देश की भरोसेमंद सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो देश में छह- सात करोड़ आवारा जानवर तो हैं ही. इनमें गोवंश -भैंस के अलावा कुत्ते और बिल्ली भी शामिल हैं.मेरा सरकारी आंकड़ों में ज्यादा विश्वास नहीं है लेकिन ये आंकड़े कहते हैं की देश में हर दिन आवारा पशुओं कोई वजह से कम से 03 लोगों को अपनी जान गंवाना पड़ती है और ाहर दुसरे दिन वन्दे मातरम रेल को इनसे टकराकर क्षतिग्रस्त होना पड़ता है .

हमारी सरकारें देश में विकास करें या आवारा जानवरों से निबटें. इस समय आधे से जयादा देश में गाय को माता मैंने वाली सरकारें हैं. हर सरकार ने अपने-अपने राज्य में आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस खोल रखे हैं. कांजी हाउस न कहिये आप गौशाला कह लीजिये ,लेकिन यहां भी गायें दनादन मरतीं हैं ,क्योंकि उनका चारा गौशाला वाले जीम जाते हैं .हारकर इन्हें सड़कों पर ,रेल की पटरियों पर गुजर-बसर करना पड़ती है /दुनिया में जहाँ भी सेमि द्रुत गति की रेलें चलतीं हैं वहां भारत जैसी समस्या नहीं है. पड़ौस के चीन की सबसे तेज गति से चलने वाली रेलों से मैंने यात्रा की है .वहां के आवारा पशु किसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन के सामने आने की जुर्रत नहीं करते .

गुजरात में गुजिस्ता दिनों वन्दे मातरम रेल के साथ हुए हादसों के लिए मै न रेल को जिम्मेदार मानता हूँ और न रेल मंत्री को .जिम्मेदार तो वे गे-भैंस हैं जो जानबूझकर पटरियों पर आ जाती हैं अब जो रेल से टकराएगा उसके परखच्चे तो उड़ ही जायेंगे. रेल थोड़े ही गाय को अपनी माता मानती है .सरकार मानती है लेकिन माताजी के लिए कुछ कर नहीं पाती .अब सरकार वारा पशुओं के लिए बहुमंजिला फ़्लैट तो बनाकर देने से रही .बहु मंजिला चरागाह ही अब एकमात्र विकल्प बचे हैं. इनकी संभावनाओं पर काम होना चाहिए.

कभी-कभी मुझे लगता है की वन्दे मातरम रेल से टकराकर शहीद होने वाले आवारा जानवर विपक्ष के फिदाइन दस्ते के सदस्य तो नहीं हैं. ?विपक्ष सरकार को बदनाम करने के लिए जब सड़कों पर आ सकता है तो क्या आवारा गाय-भैंस वन्दे मातरम के आगे नहीं छोड़ सकता . हमारी सीबीआई,ईडी आदि को इस मामले की गंभीरता से जांच करना चाहिए. मुमकिन है कोई सूत्र हाथ लग जाये .

भारत की सेमी स्पीड ट्रेन की रफ्तार 180 किलोमीटर प्रतिघंटे तक हैं, लेकिन इसे अभी 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ही संचालित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 सितंबर को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत की थी और इसके साथ ही उन्होंने गांधीनगर से लेकर अहमदाबाद तक इसमें यात्रा की थी। यह देश में तीसरी वंदे भारत ट्रेन है। यह ट्रेन गुजरात की राजधानी गांधीनगरसे अहमदाबाद, सूरत और बड़ौदा होते हुए मुंबई जाती है. चीन में इन रेलों की न्यूनतम स्पीड 250 किमी प्रति घंटा होती है .चीन में सबसे तेज रेल 422 किमी प्रति घंटे से भागती है ,लेकिन आवारा पशुओं से नहीं डरती.

हमारी सरकारें आजकल रेलों से ज्यादा भवान के लिए कॉरिडोर और लोक बनाने में जुटी हुईं हैं .उनके पास वन्दे मातरम रेलों का सुरक्षित संचालन करने या आवारा धोरों की समस्या से निबटने का समय कहाँ है ? हमारी मध्यप्रदेश सरकार का भक्तिभाव तो आजकल हिलोरें ले रहा है. सरकार ने पहले महाकाल से मंत्रिमंडल की बैठक कराई,फिर अपनी डीपी में उन्हें जगह दी और ताजा आदेश है की 11 अक्टूबर को प्रदेश के सभी मंदिरों में विशेष प्रकाश व्यवस्था की जाये,क्योंकि उस दिन शिव भक्त प्रधानमंत्री जी प्रदेश की मंगल यात्रा पर आ आरहे हैं .

देश में सबसे ज्यादा गौशालाओं वाले मध्यप्रदेश में ढाई लाख गायों की देखभाल का दावा किया जाता है ,और इतनी ही गएँ सड़कों पर जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हैं ,गनीमत है कि ये गायें रेल पटरियों पर नहीं जाती ,वरना यहाँ रेलों का वन्दे मातरम कब का हो जाता .अब जो रेलों से टकराएगा ,वो चूर-चूर हो जाएगा फिर चाहे गाय हो या भैंस चाहे आदमी हो ? बहरहाल सब चाहते हैं कि देश में एक से बढ़कर एक तेज रेलें चलना चाहिए .हर पशुपालक की जिम्मेदारी है कि वे अपने जानवरों को आवारा छोड़कर इन रेलों की गति में बाधक न बनें .देश में आने वाले दिनों में कम से कम 44 है स्पीड रेलें चलने वाली हैं .
@ राकेश अचल

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