@शब्द दूत ब्यूरो (27 सितंबर 2022)
काशीपुर । लक्ष्मण-परशुराम संवाद सुन भाव विभोर हुए दर्शक पशुपति विहार में चल रही देवभूमि पर्वतीय महासभा द्वारा मंचन रामलीला में बड़ी संख्या में लोग पहुँच रहे हैं।
चतुर्थ दिवस में रावण बाणासुर संवाद और धनुष भंजन हुआ।
सीता स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला का मंचन किया।स्वयंवर में कई राज्यों के राजा व राजकुमार पहुंचे लेकिन शिव धनुष को हिला भी न सके। राजा जनक ने प्रतिज्ञा पूरी न होते देख विलाप किया। किंतु विश्वमित्र की आज्ञा पाकर भगवान श्री राम ने धनुष को उठा कर दो टुकड़ों में खंडित कर दिया। जिसके बाद फूलों की वर्षा होने लगी और मां जानकी ने श्रीराम के गले में जयमाला डाल दी।
धनुष टूटने की आवाज सुन ऋषि परशुराम राजमहल में पहुंचे और सभी राजाओं पर आक्रोश जताते हुए हुए कहा कि सो बिलगाऊ विहाई समाजा, नत मारे जहिएं सब राजा। जिस पर भगवान श्रीराम ने बड़ी शालीनता से कहा हे नाथ संभू धनु भंजनी हारा, हुईहै कोऊ एक दास तुम्हारा। यह सुन परशुराम आग बबूला हो गए, तब लक्ष्मण भी क्रोधित हो उठे और उनके बीच तर्क-वितर्क शुरू हो गया।
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महा भटमानी।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।
भावार्थ:-लक्ष्मण हँसकर कोमल वाणी से बोले- अहो, मुनीश्वर तो अपने को बड़ा भारी योद्धा समझते हैं। बार-बार मुझे कुल्हाड़ी दिखाते हैं। फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं
जिसमें जनक के अभिनय में जयंत पांडे राम सौरभ कांडपाल, लक्ष्मण आशु पांडे,सीता तन्मय पांडे, विश्वामित्र अमित जोशी, परशुराम संजय मिश्रा रहे।