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‘ इट्स हैपन्ड ओनली इन इंडिया ‘@मंहगाई के साथ देश में अपराध भी बढ़ रहा है, एनसीबी की रिपोर्ट पर वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल का विश्लेषण

राकेश अचल, लेखक देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित होते हैं।

हिंदी वाले आज मुझे इस आलेख को पढ़ने से पहले ही अभयदान दे दें ,क्योंकि मैंने आज का शीर्षक हिंदी के बजाय हिंगलिस्तानी में दिया है| हिंदी में देता तो मुझे लिखना पड़ता कि ‘ मोदी हैं तो मुमकिन है ‘ और मै हर जगह माननीय मोदी जी को घसीटना ठीक नहीं समझता | हर बात केलिए मोदी जी को लांछित करना राष्ट्रद्रोह है| दरअसल आज मंहगाई बढ़ने के साथ ही देश में अपराध बढ़ने का जिक्र भी करने जा रहा हूँ | हमारे यहां हर दिन 80 मर्डर, हर घंटे 3 रेप हो रहे हैं .इस पर हंगामा मचाने की कोई जरूरत नहीं है |

भारत में अनेक संवैधानिक संस्थाएं तोता-मैना बन चुकी हैं | हमारे पास केंचुआ भी हैं लेकिन एक संस्था है नेशनल क्राइम ब्यूरो इसे काबू में नहीं किया जा सका है | ये संस्था हर साल देश में अपराधों के राष्ट्रव्यापी आंकड़े एकत्र कर उन्हें जारी करती है | इस संस्था के आंकड़ों से हर बार देश की और देश की सरकार की बदनामी होती है | इस बार के आंकड़े भी भयावह हैं |

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2021 में हुए अपराधों पर रिपोर्ट जारी कर दी है | इसके मुताबिक, पिछले साल देशभर के पुलिस थानों में 60 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे | रिपोर्ट में बताया गया है कि रेप के 31,677 मामले दर्ज हुए थे | ये ब्यूरो एक सफेद हाथी है ,लेकिन पालना पड़ता है | क्योंकि जब तक सरकार के पास रंग-बिरंगे हाथी न हों तब तक शोभा नहीं बनती | अब ब्यूरो के आंकड़े सरकार के लिए समस्या पैदा करेंगे | विसंगति ये है कि आंकड़े पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने के नहीं बल्कि माननीय मोदी जी के जमाने के हैं .स्वभाविक है कि दोनों का जमाना अलग-अलग है |

मुझे कभी-कभी लगता है कि कांग्रेस के पास दूरदृष्टि का अभाव आज भले दिखाई देता हो लेकिन कल नहीं था | कांग्रेस को पता था कि एक दिन भारत में जादूगर नरेंद्र मोदी की सरकार बनेगी और उसको बदनाम करने के लिए कुछ तो चाहिए | अब ये ब्यूरो मोदी-शाह की नाम में दम किये है | हाल ही में ब्यूरो ने 2021 की रिपोर्ट जारी की है | इसके मुताबिक, पिछले साल देशभर में 60.96 लाख आपराधिक मामले दर्ज हुए थे | इनमें से 36.63 लाख मामले भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज हुए थे | हालांकि, 2020 की तुलना में 2021 में करीब 8 प्रतिशत मामले कम दर्ज हुए हैं | 2020 में 66 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे |
देश में तमाम जरूरी काम हैं ,लेकिन आंकड़ेबाजी को भी इसी में शामिल कर लिया गया | अब हर आंकड़ा तो आपकी तस्वीर निखार नहीं सकता | यही नेशनल ब्यूरो के साथ है | इसके आंकड़े सरकार की तस्वीर बनाने के बजाय बिगाड़ देते हैं | इन आंकड़ों से देश का लालित्य बिगड़ता है और तब गुजरात दंगे के तमाम मामलों को हमारी सबसे बड़ी अदालत को एक झटके में बंद करना पड़ता है | अब जब मामले दर्ज होंगे तो उन्हें सुनना भी पड़ेगा ,लेकिन आखिर कब तक ? इसलिए न रहे ‘ बांस और न बजे बाँसुरी ‘|

ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश में सियासत के अलावा अपराध भी होते हैं | भले ही आप कितना भी सबको साथ लेकर चलो या सबका विकास करो | इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में देशभर में हत्या के 29,272 मामले दर्ज किए गए | यानी, हर दिन 80 मामले. 2020 की तुलना में ये आंकड़ा 0.३ प्रतिशत ज्यादा रहा | 2020 में हत्या के 29,193 केस दर्ज हुए थे | रिपोर्ट में बताया गया है कि हत्या की सबसे बड़ी वजह ‘विवाद’ रही | पिछले साल विवाद की वजह से 9,765 हत्याएं हुई थीं | वहीं, निजी दुश्मनी के चलते 3,782 हत्याएं हुई थीं | अब इतना बड़ा देश है तो कुछ न कुछ तो होगा ही |

देश में महंगाई बढ़ रही है इसलिए अपराध भी बढ़ रहे हैं | लोगों के पास काम नहीं है इसलिए मजबूरी में हम भारतीय अपहरण को कुटीर उद्योग बना लेते हैं | इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 1 लाख से ज्यादा लोगों का अपहरण हुआ था | जिनका अपहरण हुआ था, उनमें 86,543 महिलाएं थीं. इनमें भी 58 हजार से ज्यादा नाबालिग शामिल हैं | पहले इस धंधे पर हम चंबल वालों का एकाधिकार था,किन्तु अब ये राष्ट्रव्यापी धंधा है | मेरा मानना है कि अपहरण उद्योग को भी सरकारी मान्यता देकर वैध कर देना चाहिए | इससे भी जीएसटी कि जरिये अच्छी कमाई हो सकती है |

ब्यूरो रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4.28 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे | इस हिसाब से हर दिन 1,173 मामले हुए. 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 15 प्रतिशत से ज्यादा मामले दर्ज हुए | बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 31,878 पीड़िताएं थीं | यानी, हर घंटे तीन महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ | इनमें 28,840 वयस्क और 3,038 नाबालिग थीं | बलात्कार की कोशिश के 3,800 मामले दर्ज हुए | 2022-08-30बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.49 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे | ये संख्या 2020 की तुलना में 16 प्रतिशत से ज्यादा है | बच्चों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले किडनैपिंग और पोस्को एक्ट के तहत दर्ज हुए थे |

बलात्कार के 97 प्रतिशत मामलों में पहचान वाला ही आरोपी निकलता है. पिछले साल 31,677 में से 30,571 मामलों में आरोपी पीड़िता की पहचान वाला ही है |. जबकि 2,024 मामलों में परिवार का ही कोई सदस्य आरोपी था | वहीं 15,196 मामलों में आरोपी कोई पारिवारिक दोस्त, पड़ोसी या जान-पहचान का ही था | जबकि 12,951 मामलों में ऑनलाइन फ्रेंड, लिव-इन पार्टनर या शादी का झांसा देने वाला आरोपी था. 1,106 मामलों में आरोपी की पहचान नहीं हो सकी |

मुझे नेशनल क्राइम ब्यूरो की एक ही बात अच्छी और काबिले तारीफ़ लगती है कि इसके अधिकारी आंकड़ों को छिपाते नहीं हैं,झूठ नहीं बोलते | आज के महाभ्रष्ट जमानेमें ये बहुत बड़ी बात है | अन्यथा जब सरकार संसद में कॉरोनकाल में ऑक्सीजन की कमी से एक भी आदमी के न मरने का दावा कर सकती है तो नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों को क्यों नहीं झुठला सकती ? लेकिन अपराध का विकास से सीधा रिश्ता है इसलिए इन आंकड़ों को सम्मान के साथ न केवल जारी किया जाता है अपितु इनका प्रचार भी किया जाता है ताकि जनता जान ले की देश में नेता और जनता हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे हैं. कुछ न कुछ कर ही रहे हैं |

अपराध एक धर्मनिरपेक्ष विषय है, इसे हिन्दू-मुसलमान कोई भी कर सकता है | अब देखिये न भाजपा के नेता असम में चकला चलते हुए पकडे गए, मथुरा से एक दुधमुंही बच्ची का अपहरण हुआ लेकिन मिली वो भी भाजपा नेता के घर | कांग्रेसी तो जन्मजात अपराधी हैं.| अब जेडीयू ,आम आदमी पार्टी ,झामुमो जैसे दलों ने भी अपराध करना सीख लिया है | तभी तो हर दिन किसी न किसी नेता के यहां ईडी को छापे डालना पड़ते हैं |

बहरहाल इन आंकड़ों को पढ़कर सरकार जागे या न जगे,किन्तु आप जरूर जागिये ,उठिये और अपराधों को बढ़ने से रोकिये,क्योंकि ये काम अकेले पुलिस का नहीं है. पुलिस भी जब मौक़ा मिलता है बहती गंगा में हाथ धो ही लेती है .
@ राकेश अचल

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