@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (13 जून, 2022)
देश के सबसे सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा की नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए गठबंधन में हलचल बढ़ गई है। हालांकि, इस बीच तीसरा मोर्चा भी तैयार होता दिख रहा है, जिसकी अगुआई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं। फिलहाल, तीसरे मोर्चे का भविष्य दिख नहीं रहा है, क्योंकि विपक्ष के कई दल इसकी मुखालफत करने लगे हैं।
दूसरी तरफ हर किसी की नजर राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर टिक गई है। हर कोई कयास लगा रहा है कि एनडीए की तरफ से कौन उम्मीदवार होगा और उसे टक्कर देने के लिए विपक्ष किस नाम को आगे बढ़ाएगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि एनडीए से पहले विपक्ष अपने उम्मीदवार का एलान कर सकता है।
कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए के पास अभी दो लाख 59 हजार वैल्यू वाले वोट हैं। इनमें कांग्रेस के अलावा डीएमके, शिवसेना, आरजेडी, एनसीपी जैसे दल शामिल हैं। कांग्रेस के विधायकों के पास 88 हजार 208 वैल्यू वाले वोट हैं। वहीं, सांसदों के वोट की वैल्यू 57 हजार 400 है।
मौजूदा समय यूपीए के अलावा तीसरा मोर्चा भी तैयार हो रहा है। अभी इसका पूरा स्वरूप साफ नहीं हुआ है। इनमें पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी, उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी, ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी, केरल की सत्ताधारी पार्टी लेफ्ट, तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस, एआईएमआईएम शामिल हैं। इनके वोट की वैल्यू दो लाख 92 हजार है।
लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की संख्या के मुताबिक, सत्तारूढ़ भाजपा की अगुआई वाले एनडीए के पास मौजूदा समय में करीब पांच लाख 26 हजार वोट हैं। इनमें दो लाख 17 हजार अलग-अलग विधानसभा और तीन लाख नौ हजार सांसदों के वोट हैं। एनडीए में भाजपा के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके, अपना दल (सोनेलाल), एलजेपी, एनपीपी, निषाद पार्टी, एनपीएफ, एमएनएफ, एआईएनआर कांग्रेस जैसे 20 छोटे दल शामिल हैं।
मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से एनडीए को अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए और 13 हजार वोटों की जरूरत पड़ेगी। 2017 में जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया था, तब आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की बीजद ने भी समर्थन दिया था। इसके अलावा एनडीए में न होते हुए भी जदयू ने समर्थन दिया था। वहीं, पिछली बार एनडीए का हिस्सा रही शिवसेना और अकाली दल अब अलग हो चुके हैं।
बीजद के पास 31 हजार से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं और वाईएसआरसीपी के पास 43,000 से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं। इनमें से किसी एक के समर्थन से भी एनडीए आसानी से जीत हासिल कर सकती है।
मौजूदा स्थिति के मुताबिक, अगर पूरा विपक्ष एकजुट हो जाता है तो भाजपा की अगुआई वाला एनडीए कमजोर पड़ जाएगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस, टीएमसी व अन्य बड़े दल किसी ऐसे नाम को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे, जिस पर विपक्ष में शामिल सभी पार्टियां सहमति दे दें।