@नई दिल्ली शब्द ब्यूरो (03 जून, 2022)
लागत बढ़ने के बावजूद ईंधन के दाम लगभग दो महीने से स्थिर होने के साथ पेट्रोलियम कंपनियों ने नुकसान (अंडर-रिकवरी) का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है। पेट्रोल के मामले में यह नुकसान 17.1 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 20.4 रुपये लीटर पहुंच गया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि खुदरा ईंधन बेचने वाली कंपनियों ने सरकार से इस मामले में संपर्क कर ‘राहत’ मांगी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कीमत तय करने के बारे में कंपनियों को फैसला करना है।
उन्होंने इस रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से मना कर दिया कि निजी पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियां रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल आयात कर तथा तैयार पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका को निर्यात कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं।
मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के दाम में तेजी से तेल एवं गैस कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर लगाने के बारे में निर्णय के लिये वित्त मंत्रालय उपयुक्त प्राधिकरण है।
पुरी ने कहा, ‘‘हमारे सभी कॉरपोरेट नागरिक काफी जिम्मेदार हैं। ईंधन के दाम की समीक्षा का काम कंपनियां करती हैं।” उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियां ईंधन के दाम में संशोधन को लेकर उनके पास सलाह के लिये नहीं आतीं।
पुरी ने कहा, ‘‘हां, वे (तेल कंपनियां) हमारे पास आते हैं। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। वे हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि हमें राहत की जरूरत है…लेकिन अंतत: निर्णय उन्हीं को करना है।” हालांकि, पुरी ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि पेट्रोलियम कंपनियां किस प्रकार की राहत की मांग कर रही हैं।
घरेलू पेट्रोल पंपों पर ईंधन को 85 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल के मानक के आधार पर बेचा जा रहा है। जबकि ब्रेंट क्रूड फिलहाल 113 डॉलर प्रति बैरल पर है। इससे लागत और बिक्री मूल्य में अंतर है। जिससे कंपनियों को नुकसान हो रहा है। दो जून की स्थिति के अनुसार उद्योग को पेट्रोल पर प्रति लीटर 17.1 रुपये तथा डीजल पर 20.4 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था।