@आचार्य धीरज याज्ञिक
जैसे मंत्रो में ॐ कार,स्त्रियों में गौरी देवी,तत्वों में गुरु तत्व और विद्याओं में आत्म विद्या उत्तम हैं उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थो में गंगातीर्थ विशेष माना जाता हैं।
गंगा दशहरा जिसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है यह एक सनातन पर्व एवं त्योहार है जो गंगा के अवतार (अवतरण) के नाम से जाना जाता है। गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से दशमी तक यह पर्व मनाया जाता है गंगा दशहरा के इन 10 दिनों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन मां गंगा सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से निकल कर पृथ्वी पर आई थीं राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था पृथ्वी पर अवतार से पहले मां गंगा स्वर्ग का हिस्सा थीं।

गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
हिन्दू धर्म में गंगा माँ को बहुत ऊँचा दर्जा दिया गया है। शास्त्रानुसार जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
वर्तमान समय में भौतिक जीवन जी रहे मनुष्य से जाने अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि जिस किसी ने भी पापकर्म किये हैं और जिसे अपने किये का पश्चाताप है और पाप मुक्ति पाना चाहते है तो उसे सच्चे मन से मां गंगा की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिये।
इन दिनों में गंगा नदी में दीपदान करना चाहिए गंगा माँ की पूजा-अर्चना, महाआरती करनी चाहिए। गंगा दशहरा हिंदुओं द्वारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मनाया जाता है ,जहां गंगा नदी बहती है। हरिद्वार , वाराणसी , गढ़मुक्तेश्वर , ऋषिकेश , इलाहाबाद और पटना उत्सव के मुख्य स्थान हैं। जहां भक्त गंगा के तट पर इकट्ठा होते हैं और आरती करते हैं (एक धार्मिक अनुष्ठान जिसमें एक प्रकाश दीपक को दक्षिणावर्त घुमाया जाता है। एक देवता की प्रार्थना के एक भाग के रूप में) माना जाता है कि इन दिनों में मां गंगा के पावन जल में डुबकी लगाने से भक्त की मनो कामना पूर्ण होती है। गंगा स्नान से आत्मा एवं शारीरिक शुद्धिकरण होती है और चर्मरोग नहीं होता।
आइए हम सब मिलकर इस गंगा दशहरा पर यह संकल्प लें कि मां गंगा के जल में गंदगी नहीं करेंगे, मां गंगा को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान प्रदान करेंगे।
“नमामि गंगे तव पाद पद्ममं”