@शब्द दूत ब्यूरो (03 मई, 2022)
उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में सीमांत क्षेत्र विकास के तहत अब विकास कार्य नहीं हो पाएंगे। केंद्र सरकार ने इन विकास कार्यों पर रोक लगा दी है। सरकार अब वाइब्रेंट विलिज नाम से सीमांत गांवों में योजना चलाएगी।
केंद्र सरकार ने चीन व नेपाल की सीमा से सटे क्षेत्रों में सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत नए काम शुरू करने पर रोक लगा दी है। साथ ही पुराने काम भी 30 सितंबर तक पूरा करने को कहा है। माना जा रहा है कि इसके स्थान पर केंद्र सरकार अब वाइब्रेंट विलेज योजना लागू करने वाली है। उत्तराखंड के सीमांत में पलायन की समस्या को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2001 में सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम लागू किया था।
इसमें चीन और नेपाल बॉर्डर से सटे पांच जिलों के दस किलोमीटर के दायरे में शामिल गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, अवस्थापना और सामाजिक क्षेत्र में विकास कार्य किए जाते हैं। इसके लिए 90 फीसदी बजट केंद्र सरकार देती है। उत्तराखंड में इस योजना के तहत कुल 485 योजनाएं स्वीकृत हुईं, जिसमें से अब तक 323 ही पूरी हो पाई हैं।
फिलहाल उत्तराखंड के कुछ ही ब्लॉकों में काम चल रहा है। जिनमें पिथौरागढ़ जिला के
मुनस्यारी, मूनाकोट, धारचूला, कनालीछीना शामिल हैं। इसके अलावा चंपावत और लोहाघाट (चंपावत), खटीमा (ऊधमसिंह नगर), जोशीमठ (चमोली), भटवाड़ी (उत्तरकाशी) में भी लंबित विकास कार्य चल रहे हैं।