@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (18 अप्रैल, 2022)
मध्य प्रदेश के बड़वानी के सेंधवा में जेल में बंद आरोपियों को दंगे का आरोपी बनाने का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि खरगोन में भी दो ऐसे लोगों को दंगे का आरोपी बनाने का मामला सामने आया है, जिसमें से एक कथित तौर पर जिला सरकारी अस्पताल के ऑर्थोपेडिक ट्रॉमा वार्ड में भर्ती था, जबकि दूसरे उसके परिजनों के मुताबिक शहर से बाहर दूसरे राज्य में था।
फरीद, जो कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती था, उसका नाम 11 और 12 अप्रैल को दर्ज दंगों के दो मामलों में दर्ज है, जबकि 12 अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी में आजम सह-आरोपी है जो उस दिन कथित तौर पर कर्नाटक में था। खरगोन के संजय नगर इलाके में 10 अप्रैल को कथित तौर पर दंगा करने और दूसरों की संपत्ति में आग लगाने के मामले में आईपीसी की कई धाराओं में दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
लेकिन फरीद की भाभी अंजुम बी ने बताया कि उनका देवर नौ अप्रैल से ग्यारह अप्रैल के बीच अस्पताल में भर्ती था। आठ अप्रैल को घर की सफाई के दौरान गिरने की वजह से उसे चोट आई थी। नौ तारीख की शाम को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, दस अप्रैल को भी वह अस्पताल में ही थे। फिर ग्यारह अप्रैल को अस्पताल में छुट्टी हुई। उस दिन से वह लापता हैं और उनका फोन भी बंद है। अंजुम बी ने कहा कि 2015 की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान भी हमारे परिजनों का नाम एफआईआर में नहीं था। बावजूद इसके उनका नाम बाद में डाला गया। हमारे आवेदनों के बाद मामले से नाम हटा दिए गए।’
गौरतलब है कि 12 अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी में फरीद का भाई रफीक (अंजुम बी के पति) और पिता सुभान भी 11 नामजद आरोपियों में शामिल हैं।