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“कोविड संक्रमित होने का सही समय”, शीर्ष वैज्ञानिक ने बच्‍चों में कोरोना को लेकर डर को किया खारिज

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (15 अप्रैल, 2022)

भारत में कोविड-19 मामलों की ओवरऑल संख्‍या हालांकि कम बनी हुई है लेकिन देश के कुछ शहरों में पिछले सप्‍ताह केसों की संख्‍या का ग्राफ ऊपर आया है। उदाहरण के तौर पर देश की राजधानी दिल्‍ली के स्‍कूलों में बच्‍चों में कोविड पॉजिटिव आने की घटनाओं ने चिंता बढ़ाने का काम किया है।

देश के शीर्ष बायोमेडिकल वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कांग ने कहा है, यह अभी पता नहीं चला है कि XE वेरिएंट तो केसों में आए इस उछाल का कारण नहीं है। उन्‍होंने कहा, “हम पक्‍के तौर पर यह नहीं जानते कि रिपोर्ट के लिए जा रहे सभी केस XE वेरिएंट के कारण हैं जब तक हम उन सभी की सीक्‍वेंसिंग न करें। जब हमारे पास तस्वीर के सभी तभी टुकड़े हो तभी हम इस बारे में व्‍याख्‍या कर सकते हैं। अकेले लोगों का डेटा अपने आप में पर्याप्‍त नहीं है।”

डॉक्टर कांग ने कहा, “XE वेरिएंट ओमिक्रॉन का व्‍युत्‍पन्‍न है। ओमिक्रॉन के बारे में हम जो जानते हैं, उनके अनुसार, यह ऐसा वायरस है जो निचले श्‍वसन तंत्र की तुलना में ऊपरी श्‍वसन तंत्र पर असर दिखाता है, ऐसे में जो लक्षण नजर आते हैं वे ऊपर श्‍वसन तंत्र में संक्रमण, बुखार और बेचैनी के होंगे। हालांकि इस तरह की गंभीर बीमारी नहीं होगी आपको पहले की तरह अस्‍पताल जाने की नौबत आए।”

डॉ. कांग ने कहा, “मुझे लगता है कि लक्षणों पर ध्‍यान देने और इसके आधार पर हमसे यह बताने की उम्‍मीद करना कि यह कौन सा वेरिएंट है, उचित नहीं होगा। आपको वास्‍तव में क्‍लीनिकल डेमाग्राफिक इन्‍फार्मेशन के साथ ही सीक्‍वेंस डेटा की जरूरत है जो बता सके कि यह कौन सा वेरिएंट है।”

उन्‍होंने यह भी  कहा कि केसों की संख्‍या में आने क्रमिक उछाल को चौथी लहर की आहट नहीं माना जा सकता। डॉ. कांग ने इसके साथ ही यह भी कहा कि लोगों की पुन: संक्रमण के लिए तैयार रहना चाहिए, भले ही आप संक्र‍मित हो चुके हो या पहले वैक्‍सीनेशन करा चुके हों।

दूसरे देशों में कोरोना के मामलों की बढ़ रही संख्‍या के बावजूद देश में कम मामले आने के कारण को स्‍पष्‍ट करते हुए उन्‍होंने कहा कि पिछले साल भारत का टीकाकरण अभियान, एक प्रकार की हाईब्रिड प्रतिरक्षा देकर गया है।

उन्‍होंने यह भी कहा, हालांकि हमें विभिन्‍न प्रकार के वायरसों के खिलाफ अच्‍छी ‘सुरक्षा’ नहीं मिली है जो कि ओमिक्रॉन लहर के दौरान साफ तौर पर स्‍पष्‍ट हुआ था। डॉ. कांग ने कहा कि दूसरी डोज और बूस्‍टर डोज के बीच नौ माह के अंतर को कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

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