Breaking News

जुमलेबाजी रह जाती हैं योजनाएं, ऐलान से पहले बजट की भी सोचें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी योजनाओं के ऐलान और उनके प्रभावी अमल में बड़ा अंतर होने को लेकर सरकारों को आईना दिखाया है। अदालत ने कहा कि योजना का ऐलान करने से पहले उसके वित्तीय प्रभावों के बारे में सोचना चाहिए।

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (06 अप्रैल, 2022)

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी योजनाओं के ऐलान और उनके प्रभावी अमल में बड़ा अंतर होने को लेकर सरकारों को आईना दिखाया है। अदालत ने कहा कि सरकार को किसी भी योजना का ऐलान करने से पहले उसके वित्तीय प्रभावों के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

कोर्ट ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां एक अधिकार बना दिया गया है, लेकिन ‘स्कूल कहां हैं?’। जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने प्रताड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘हम आपको सलाह देंगे कि जब भी आप इस प्रकार की योजनाओं या विचारों के साथ आते हैं तो हमेशा वित्तीय प्रभाव को ध्यान में रखें।’ पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इसका ‘उत्कृष्ट उदाहरण’ शिक्षा का अधिकार अधिनियम है।

बेंच ने कहा, ‘आपने एक अधिकार बनाया है। स्कूल कहां हैं? इसलिए, स्कूलों को नगर पालिकाओं, राज्य सरकारों आदि सहित विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा स्थापित किया जाना है। उन्हें शिक्षक कहां मिलते हैं?’

पीठ ने कहा कि कुछ राज्यों में ‘शिक्षा मित्र’ हैं और इन व्यक्तियों को नियमित भुगतान के बदले लगभग 5,000 रुपये दिए जाते हैं। इसने कहा कि जब अदालत राज्य से इसके बारे में पूछती है, तो वे कहते हैं कि बजट की कमी है। पीठ ने कहा, ‘आपको संपूर्णता में देखना होता है। अन्यथा, यह सिर्फ जुमलेबाजी ही बन जाती है।’

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ में हुआ विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (30 मार्च 2025) भवाली /रामगढ़। राजकीय महाविद्यालय रामगढ़ …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-