खेती के साथ किसान अब एग्रो टूरिज्म से भी अच्छी इनकम कर सकते हैं। एग्रीकल्चर में पीजी करने के बाद दो युवाओं ने इसी तरह का एक मॉडल तैयार किया है, जिसमें किसान अपने खेत को ही एग्रो टूरिज्म का सेंटर बना सकते हैं।
@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (03 अप्रैल, 2022)
राजस्थान की ट्रेडिशनल खेती और रूरल लाइफ अब बाहर के सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रही है। एग्रीकल्चर में पीजी करने के साथ दो युवाओं ने किसी फार्म सेक्टर से जुड़ी कंपनी में काम करने की जगह एग्रो टूरिज्म, ऑर्गेनिक और मॉडर्न फार्मिंग को करियर बनाया। जयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर खोरा श्यामदास में दोनों ने मिनी विलेज फार्म डेवलप किया है।
एग्रीकल्चर में एमएससी सीमा सैनी और हॉर्टिकल्चर में बीएससी इंद्रराज इस मिनी विलेज को चला रहे हैं। यह मिनी विलेज ट्रेनिंग सेंटर भी है और मॉडर्न फार्मिंग और रूरल लाइफ की लाइव क्लास भी। उनके फार्म पर ऑर्गेनिक सब्जियों, ऑर्गेनिक चारे और फलों का उत्पादन किया जा रहा है। दोनों ने 2017 में डिग्री पूरी होने के बाद इसे शुरू किया। एग्रो टूरिज्म सेंटर के साथ वे नेचर से जुड़ने और किसानों की मदद के लिए संस्था भी चला रहे हैं।
सीमा और इंद्रराज का कहना है कि शहरों के लोगों में नेचर से जुड़ने और रूरल लाइफ को नजदीक से जानने का चलन बढ़ रहा है। एग्रो टूरिज्म यूनिट शुरू करने के लिए खुद के फार्म पर थोड़े बहुत बदलाव करके आसानी से शुरू किया जा सकता है। शहरों के लोग लगातार फार्म की विजिट करने आ रहे हैं। इस तरह की यूनिट हर जगह शुरू की जा सकती है।
इस फार्म पर सब कुछ आर्गेनिक रूप से पैदा किया जा रहा है। कम खर्च में टूरिस्ट ग्रामीण जीवन को जीने का अहसास कर सकते हैं। फार्म पर टूरिस्ट के लिए इको फ्रेंडली हट्स तैयार की गई हैं, जो नेचुरल तरीके से ईंट गारे से बनाई गई हैं। इनकी छतों को सरकंडों से बनाया गया है। एग्रो टूरिज्म के इस मॉडल में एक ही जगह ऑर्गेनिक फार्मिंग के साथ डेयरी, पशुपालन, उन्नत नस्ल का चारा और रहने की सुविधा विकसित की है।