@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (29 मार्च, 2022)
प्लास्टिक की बोतलों से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी इनका चलन कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इसका बड़ा कारण है इसका विकल्प न होना। जितनी कीमत में और सहजता से प्लास्टिक की बोतलें उपलब्ध हैं, वैसा कोई और विकल्प नहीं है।
इस कारण कई बार तो जागरुकता होने के बाद भी लोगों को मजबूरी में इनका इस्तेमाल करना पड़ता है। लेकिन अब नोएडा की समीक्षा गनेरीवाल ने इसका शानदार विकल्प खोज लिया है। उन्होंने एक ऐसी बोतल बनाई है जो पूरी तरह ईकोफ्रेंडली है और 100 फीसदी डींकपोजेबल है।
समीक्षा ने बोतलों के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कागज के टुकड़ों को प्राकृतिक गोंद से जोड़कर ऐसी बोतल बनाई है जिसमें तरल पदार्थ रखने से वह गलती नहीं है। यहां तक कि इस बोतल का ढक्कन भी कागज और मिट्टी में घुल जाने वाले प्राकृतिक तत्वों से ही बना है। इस बोतल को नौ महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है और उसके बाद इसे गमले की मिट्टी में ही दबाया जा सकता है, ताकि वो डीकंपोज हो जाए। साथ ही यह वेस्ट पेपर का फिर से इस्तेमाल करने का बहुत अच्छा तरीका है।
समीक्षा बताती हैं कि अभी कागज से बनी इस बोतल का उपयोग शैंपू, कंडिशनर और हैंडवाश पैक करने के लिए किया जा रहा है। अब वे पानी और जूस भरने के लिए कागज की बोतल तैयार कर रही हैं। उन्हें अपनी इस खास बोतल का पेटेंट लेने के लिए भी आवेदन कर दिया है। उनका यह अनूठा प्रयोग कुछ बेवरेज कंपनियों को बहुत पसंद आया है और उन्होंने अपने पेय पदार्थ पैक करने के लिए उनकी बोतलों का उपयोग करने में रुचि दिखाई है।
समीक्षा ने इस काम के लिए 2018 में अपनी कंपनी शुरू की थी। फिलहाल इन बोतलों की मैन्यूफेक्चरिंग हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित एक फैक्ट्री में हो रही है लेकिन जल्द ही वे नोएडा में भी अपनी यूनिट शुरू करने की तैयारी में हैं। वहीं कीमत को लेकर उनका कहना है कि अभी यह बोतल प्लास्टिक बोतल जितनी 19 रुपये की लागत में तैयार हो रही है लेकिन हम इसकी कीमतें और कम करने पर काम कर रहे हैं।