@शब्द दूत ब्यूरो (27 फरवरी, 2022)
हिमाचल प्रदेश की केंद्रीय हाटी समिति के उपाध्यक्ष फकीर चंद ने कहा कि अब आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सभी हाटियों ने मिलकर फैसला लिया है कि गिरिपार क्षेत्र को यदि एसटी का दर्जा नहीं मिला तो गिरिपार क्षेत्र का हाटी समुदाय हिमाचल छोड़कर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड जाना पसंद करेगा।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई में हुई हाटी महाखुमली यानी बैठक में हाटियों ने साफ किया कि यदि जून माह तक गिरिपार क्षेत्र को एसटी का दर्जा नहीं मिला तो हाटी समुदाय के लोग हिमाचल छोड़ कर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड जाने को विवश हो जाएंगे।
केंद्रीय हाटी समिति के उपाध्यक्ष फकीर चंद ने कहा कि अब आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। जुलाई से पहले गिरिपार क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र घोषित होना चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सभी हाटियों ने मिलकर फैसला लिया है कि गिरिपार क्षेत्र को यदि एसटी का दर्जा नहीं मिला तो गिरिपार क्षेत्र का हाटी समुदाय हिमाचल छोड़कर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड जाना पसंद करेगा।
सिरमौर हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा, महासचिव अतर तोमर, उपाध्यक्ष खजाना सिंह, मुख्य सलाहकार रमेश सिंगटा व मीडिया प्रभारी कपिल चौहान ने फकीर चंद के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि 70 वर्षों के बाद हाटी समुदाय के लोग पहली बार 11 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे। दो मार्च से सभी तहसीलों व उप तहसीलों में सांकेतिक धरना प्रदर्शन भी शुरू किए जाएंगे।
बर्फबारी व भारी बारिश के वावजूद भी कड़ाके की ठंड के में तीन हजार से अधिक हटियों ने खुमली में शिरकत की। सांसद की कार्यशैली से लोग इतने नाराज दिखे कि जैसे ही सुरेश कश्यप मंच पर पहुंचे लोगों ने उनका घेराव शुरू कर दिया। लोगों ने उनके सामने हक नहीं तो वोट नहीं व हाटी एकता जिंदाबाद के नारे लगाए। शिलाई के पूर्व भाजपा विधायक बलदेव तोमर के हस्तक्षेप के बाद लोग शांत हुए।
महाखुमली में पहली बार कांग्रेस व भाजपा नेता एक मंच पर एक साथ दिखे। दिलचस्प बात यह कि किसी भी नेता ने न तो राजनीति संबंधी बात की, न एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। सभी नेताओं ने एक सुर में गिरिपार क्षेत्र की इस प्रमुख मांग का समर्थन किया। शिलाई के पूर्व भाजपा विधायक बलदेव तोमर ने तो खुमली में यह भी एलान कर डाला कि वह इस मामले में पूरी तरह हाटियों के साथ हैं, आप संघर्ष करो।