कोरोना से पहले कपिल बैंक सेक्टर में नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना आने के बाद सोनीपत से उनका ट्रांसफर गुजरात कर दिया गया। ऐसे में कपिल ने गुजरात जाने की बजाय अमरूद की जैविक खेती करने की सोची। देखते ही देखते नौकरी में मिलने वाली सैलरी के मुकाबला चार गुना ज्यादा हो गया।
@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (23 दिसंबर, 2021)
करोना काल के दौरान लाखों लोगों की नौकरियां छूट गई थीं। इनमें कई युवाओं ने गांव के तरफ रुख किया। हरियाणा सोनीपत के गांव शहजादपुर के रहने वाले कपिल ने अपनी जमी-जमाई बैंक की नौकरी छोड़कर खेती की तरफ रुख कर लिया।
कोरोना आने से पहले कपिल बैंक सेक्टर में नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना आने के बाद सोनीपत से उनका ट्रांसफर गुजरात कर दिया गया। ऐसे में कपिल ने गुजरात जाने की बजाय अमरूद की जैविक खेती करने की सोची। देखते ही देखते नौकरी में मिलने वाली सैलरी के मुकाबला 4 गुना ज्यादा हो गया।
कपिल अपने बाग में आठ किस्मों के अमरूद उगाते हैं। इनके अमरूदों की क्वालिटी तो ताइवान के अमरूदों को भी मात दे रही है। कपिल को अपने फल को सब्जी मंडी में भेजने की जरूरत भी नहीं पड़ती, खरीददार खुद उनको ऑर्डर देकर अमरूद अपने साथ दे जाते हैं।
कपिल कहते हैं नौकरी छोड़ कर अपना बाग लगाया। अब वह महीने में लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। उनकी ये कामयाबी उनके क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। दूर-दूर से युवा उनसे टिप्स भी लेने आते हैं।
कपिल अमरूद की खेती के साथ-साथ अपने खेत में नींबू की खेती भी कर रहे हैं इस जैविक नींबू को सब्जी मंडी में बेचने की बजाय वह है इससे अचार बनाकर बेच रहे हैं, जिससे उन्हें काफी मुनाफा हासिल हो रहा है।