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दिल्ली से लौटकर भी आंदोलन को याद रखेंगे किसान, गांव में लगाएंगे तंबू

आंदोलन स्थगित करते हुए 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को ‘‘विजय दिवस” के रूप में मनाएंगे, जिसके बाद वे अपने घर लौटेंगे।

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (11 दिसंबर, 2021)

एक साल से अधिक समय के चरम मौसम, कोविड -19 महामारी और राजमार्गों पर टेंट में रहने के बाद, किसान आंदोलन की यादों को जीवित रखने के इरादे से पंजाब के किसान फिर से अपने अपने गांव में टेंट लगाएंगे।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे गुरिंदर सिंह, बूटा सिंह शादीपुर और उनके गांव के अन्य लोगों के लिए सिंघू बॉर्डर पर 2,400 वर्ग फुट के क्षेत्र में लगाया गया तम्बू एक साल से अधिक समय से उनका घर था। गुरिंदर और बूटा ने शुक्रवार को इस तम्बू को उखाड़ दिया, लेकिन उनका इरादा इसे पंजाब के बठिंडा जिले में स्थित अपने गांव में फिर से लगाना है, ताकि किसान आंदोलन की यादों को जीवित रखा जा सके।

केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून वापस लिए जाने और किसानों की अन्य मांगें स्वीकार करने के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन स्थलों से जाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में कई किसानों का कहना है कि वे प्रदर्शन स्थलों पर लगाए गए तम्बुओं को उनके लंबे एवं कठिन संघर्ष के प्रतीक के रूप में अपने-अपने गांवों में फिर से लगाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लिये जाने और ‘एमएसपी’ सहित किसानों की मुख्य लंबित मांगों को स्वीकार करने का एक ‘‘औपचारिक पत्र” केंद्र सरकार से प्राप्त होने के बाद एक साल से चला आ रहा अपना आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। आंदोलन स्थगित करते हुए 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को ‘‘विजय दिवस” के रूप में मनाएंगे, जिसके बाद वे अपने घर लौटेंगे।

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