सारा उत्तराखंड, हरदा के संग’ कैंपेन लांच करते हुए हरीश रावत ने अपने कार्यकाल का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कई छोटी-छोटी पहल की थीं।
@शब्द दूत ब्यूरो (07 दिसंबर, 2021)
उत्तराखंड चुनाव को लेकर भले ही कांग्रेस हाईकमान ने कोई चेहरा आगे न कर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया हो, लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुख्यमंत्री बनने की हसरतें हिलोरे मार रही हैं। गाहेबगाहे हरीश रावत और उनके समर्थक भी उन्हें बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पार्टी के भीतर अब भी एक गुट उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुटा हुआ है।
इसी कड़ी में हरीश रावत ने अपने समर्थकों का अभियान ‘सारा उत्तराखंड हरदा के संग’ लॉन्च किया। साथ ही हरीश रावत से जुड़ने के लिए टोल फ्री नंबर और वेबसाइट जारी की गई है। इस अभियान के जरिए हरीश रावत के उत्तराखंडियत मॉडल को आम लोगों से जोड़ने की कोशिश शुरू हो गई है। साथ ही इसे हरीश रावत कैंप का हाईकमान के आगे उनकी लोकप्रियता साबित करने का दांव माना जा रहा है।
हरीश रावत उत्तराखंड चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित करने के हिमायती हैं और सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक कई बार इसकी मांग कर चुके हैं। लेकिन, हाईकमान की सोच इससे अलग है। हाईकमान स्पष्ट कर चुका है कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।
इसकी वजह उत्तराखंड कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी है। अगर चुनाव से पहले हरीश रावत का चेहरा घोषित किया गया तो पार्टी के भीतर उनका विरोधी गुट नाराज हो जाएगा, जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ सकता है। साथ ही हो सकता है कि कांग्रेस के नाराज नेता चुनाव से ऐन पहले पाला बदल लें। पार्टी ऐसी अप्रिय स्थिति से बचना चाहती है।
वहीं, हरीश रावत ने इस कैंपेन की लॉन्चिंग के दौरान कहा कि इस पहल से लोगों की विभिन्न समस्याओं की जानकारी और सुझाव मिलेंगे। साथ में आगामी चुनाव में रणनीतिक फैसले लेने में इससे मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभियान की मुख्य थीम ‘उत्तराखंडियत जिंदाबाद’ रहेगी।