
@शब्द दूत ब्यूरो (5 सितंबर 2021)
अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जे को लेकर गोलीबारी में अब्दुल गनी बरादर घायल हो गया। उसे हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों ने गोली मारी है। दरअसल हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुट है। उधर पाकिस्तान के आईएसआई चीफ के अफगानिस्तान में होने के बाद से वहाँ स्थिति बिगड़ रही है। कब्जे के बावजूद तालिबान वहां अभी तक सरकार नहीं बना पाया है।
हक्कानी नेटवर्क के चलते यह दुश्वारियां आ रही हैं। गोलीबारी में घायल होने के बाद अब्दुल गनी बरादर अपना इलाज करा रहा है जिस वजह से वहाँ सरकार बनने में देरी हो रही है। हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार में अपना प्रभुत्व बनाये रखना चाहता है।
दोहा शांति वार्ता में समावेशी सरकार बनाने का वादा करने वाले तालिबान को हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जहां तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार में शामिल करना चाहता है, तो वहीं तालिबान का उप नेता सिराजुद्दीन और उसका आतंकवादी समूह हक्कानी नेटवर्क किसी के साथ सत्ता साझा नहीं करना चाहते।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क चाहता है कि सरकार मध्ययुगीन समय जैसी हो और उसमें कुछ भी आधुनिक ना हो। हक्कानी नेटवर्क का कहना है कि उसने काबुल को जीता है और अफगानिस्तान की राजधानी पर उसी का दबदबा है।
उधर अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान और विद्रोही बलों यानी रेजिस्टेंस फोर्सेस के बीच खूनी संघर्ष जारी है। तालिबान और प्रतिरोध बलों की जंग में पंजशीर के उत्तर-पूर्वी प्रांत करीब 600 तालिबानी मारे गए हैं। स्पुतनिक ने अफगान रेसिस्टेंस बलों के हवाले से यह बात कही। पंजशीर के रेजिस्टेंस फोर्स (प्रतिरोध बलों) का दावा है कि शनिवार सुबह से पंजशीर के विभिन्न जिलों में करीब 600 तालिबानियों का खात्मा किया गया। वहीं, 1000 से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को कैद किया गया है या उन्होंने सरेंडर किया है।
पंजशीर को नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट का गढ़ माना जाता है, जिसकी अगुवाई पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और पूर्व राष्ट्र अमरुल्ला सालेह कर रहे हैं। पुरानी सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर यानी कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है।