@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
कोरोना महामारी ने कई ज़िंदगियों को तबाह कर दिया है। इस महामारी के कारण कई लोगों की नौकरियां चली गईं, जिसके कारण लोग बहुत मुश्किल से अपना घर चला रहे हैं। अभी हाल ही में ओडिशा के भुवनेश्वर में एक स्कूल टीचर की कोरोना के कारण नौकरी चली गई थी, मज़बूरी में वो शहर के नगर निगम के कचरा उठाने वाली गाड़ी को चला रही हैं।
स्मृतिरेखा बेहरा भुवनेश्वर के पथबंधा स्लम में अपने परिवार के साथ रहती हैं। स्मृतिरेखा भुवनेश्वर के एक प्ले स्कूल में टीचर के रूप में काम करती थीं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी चली गई। ये नौकरी ही उनकी आजीविका का साधन था। घर में उनके अलावा उनके पति और दो बेटियां हैं।
अपनी आपबीती बयां करते हुए स्मृतिरेखा ने बताया – “मेरी दो बेटियां हैं हम महामारी के दौरान उन्हें ठीक से खाना भी नहीं खिला पाए। मैंने परिवार के भोजन के लिए दूसरों से पैसे उधार लिए, लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चल पाया। महामारी के कारण जीवन के सबसे खराब दिन देखने पड़े। महामारी के बाद होम ट्यूशन ही मेरी कमाई का दूसरा स्रोत था, मगर वो भी मना हो गया। मैं मज़बूर हो गई, क्योंकि कमाने का कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। मेरे पति की भी सैलरी नहीं मिल पा रही है। इस वजह से हमें और परेशान होना पड़ा।”