@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
देश के मशहूर वायरोलॉजिस्ट (विषाणु विज्ञानी) शाहिद जमील ने वैज्ञानिकों के सलाहकार समूह के फोरम से इस्तीफा दे दिया है। यह फोरम कोरोना वायरस के विभिन्न वैरिएंट का पता लगाने के लिए गठित किया गया था। जमील ने कई हफ्तों पहले कोरोना की महामारी से निपटने के सरकार के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे।
जमील ने कहा, यह सही है कि इस मामले में उन्हें अब कुछ और नहीं कहना है। जमील ने वैज्ञानिक सलाहकार समूह के फोरम से इस्तीफे को लेकर यह प्रतिक्रिया दी। जमील ने कहा कि इसकी वजह बताना उनकी मजबूरी नहीं है। इंसाकाग जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आता है। इस मंत्रालय की सचिव रेणु स्वरूप ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं दी है।
ऐसी खबरें हैं कि इंसाकाग ने सरकार को मार्च में आगाह किया था कि कोरोना के नए और ज्यादा संक्रामक वैरिएंट आने वाले समय पर बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के वैरिएंट (स्वरूप) B.1.617 को भारत में कोरोना की दूसरी भयानक लहर का सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है।
शाहिद जमील ने ऐसे वक्त पर त्यागपत्र दिया है, जब भारत कोरोना की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है। रोजाना 4 हजार से ज्यादा मौतें देश में हो रही हैं। जबकि कोरोना के मामले रिकॉर्ड चार लाख का आंकड़ा पार करने के बाद अभी भी 3 लाख के आसपास ही दर्ज हो रहे हैं। सरकार कोरोना की दूसरी लहर को काबू में करने के तौरतरीकों को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से आलोचना का सामना कर रही है।
पहली बार है कि सरकार के भीतर कोरोना के खिलाफ जंग में शामिल किसी पेशेवर व्यक्ति ने इस मुद्दे पर अपनी अलग राय रखी है। फोरम द्वारा दी गई चेतावनी पर सरकार के ध्यान न दिए जाने के मुद्दे पर जमील ने कहा था कि सरकारी एजेंसियों ने इन साक्ष्यों पर ध्यान नहीं दिया।

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