@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिसका असर अब गंगा किनारे के घाटों पर देखने को मिलने लगा है। गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। पैसे के अभाव में लोग, शवों का जलाने के बजाय दफनाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। गंगा के किनारे के घाटों का आलम ये है कि अब शव दफन करने की जगह घाटों पर जगह नहीं बची है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक माह में तीन सौ से ज्यादा शव यहां अंतिम संस्कार के लिए आए हैं। आये हुए शवों में से अधिकतर को गड्ढा खोदकर दफन कर दिया जाता है। इस कारण घाट के किनारे अब शव दफनाने के लिए जगह नहीं बची है। कुछ ऐसा ही हाल उन्नाव के दो घाटों बक्सर और रौतापुर का है। अब तो हालत ये है कि कई शव मिट्टी से बाहर दिखने लगे हैं और इस वजह से आवारा जानवर और कुत्ते वहां मंडराने लगे हैं।
उन्नाव के ग्रामीण इलाकों में एक के बाद एक संदिग्ध परिस्थितियों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौत हो रही है। मरने वालों में से ज्यादातर को खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत हुई और बाद में मौत हो गई। इस तरह से मरने वालों की संख्या ग्रामीण इलाक़ो में ही हज़ारों में होगी। उन्नाव के रौतापुर घाट पर ही एक माह में करीब 300 शवों का दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया।
आलम ये हैं कि अब यहां, शव दफनाने की जगह गंगा की रेती में नहीं बची है. अब सिर्फ एक पट्टी, जिस पर शवों को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता है, बची है। इसके अलावा आसपास के खेतों में भी कुछ लोग देरसबेर शवों को दफना जाते हैं।