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मिसाल: खुद पांच साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर, लेकिन दूसरों को दे रहे हैं जीवन

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो

अस्थमा रोगी मंजूर अहमद पिछले पांच साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। घर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर रहते हैं और बाहर सिलिंडर साथ लेकर आवाजाही करते हैं। कोरोना काल में ऑक्सीजन संकट के बीच मंजूर इन दिनों जरूरतमंद मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचाने से लेकर अन्य सामान की आपूर्ति करते नजर आते हैं।

ओमपोरा बडगाम के 48 वर्षीय मंजूर अहमद तमाम जोखिम उठाकर जरूरतमंदों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। हालांकि आर्थिक तंगी झेल रहे मंजूर अहमद इस सेवा के लिए जायज दाम लेते हैं। लेकिन कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की अहमियत को शिद्दत से समझने वाले मंजूर का जज्बा पूरे इलाके में नजीर बन गया है।

मंजूर ने बताया कि पत्नी, तीन बच्चों का भरण पोषण करने के लिए वे 15 वर्षों से लोड कैरियर चला रहे हैं। अस्थमा रोगी होने की वजह से वे पांच साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, लेकिन परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है।

मंजूर पहले एक प्राइवेट कंपनी के साथ काम करते थे। कोरोना महामारी के चलते सब बंद पड़ा है। ऐसे में उन्हें जानने वाले जरूरी सामान की सप्लाई के लिए फोन पर संपर्क करते हैं। ऑक्सीजन सिलिंडर रिफिल करवाने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।

मंजूर ने कहा कि ऑक्सीजन की अहमियत को उनसे ज्यादा शायद ही कोई समझ सकता है, लिहाजा वह इससे जुड़ी सप्लाई के लिए कहीं भी पहुंच जाते हैं। ऑक्सीजन का सेचुरेशन स्तर कम होने के हालात के बीच किसी की मदद करने से बेहद सुकून मिलता है।

मंजूर का कहना है कि महामारी के दौर में वह घर पर हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते। परिवार को दो वक्त की रोटी खिलाने के साथ अपनी दवाइयों का खर्च निकालने और जरूरतमंदों के लिए कुछ करने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। मंजूर के अनुसार हर महीने उनकी दवाइयां का खर्च करीब छह हजार रुपये होता है।

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