पश्चिम बंगाल चुनाव का कुरुक्षेत्र बना नंदीग्राम, ममता बनाम शुभेंदु अधिकारी की संभावना

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो

पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम विधान सभा सीट पर चुनावी लड़ाई रोचक होने जा रही है। साल 2016 में शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्हें 87 फीसदी वोट मिले थे। उन्होंने तब सीपीआई के अब्दुल कबीर को 81, 230 वोटों के अंतर से हराया था लेकिन अब वो तृणमूल छोड़कर बीजेपी के साथ जा चुके हैं। हालांकि, बीजेपी उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाएगी या नहीं, ये अभी साफ नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने ऐलान किया है कि वो ममता बनर्जी को नंदीग्राम से 50,000 वोट से हराएंगे।

शुभेंदु ने एक बार फिर कहा कि वो नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हराएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि ममता को सीधे टक्कर दूंगा। सीएम ममता बनर्जी ने भवानीपुर के साथ-साथ नंदीग्राम से भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बीजेपी को उम्मीद है कि शुभेंदु अधिकारी न केवल नंदीग्राम में कमाल कर पाएंगे बल्कि मिदनापुर जिले की कई विधान सभा सीटों पर अपना प्रभाव डालेंगे।

नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए काफी मायने रखता है। उन्होंने अक्सर यहीं से चुनाव अभियान की शुरुआत की है। 2000 के दशक में नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चले आंदोलन की वजह से ही ममता को साल 2011 में बंगाल की गद्दी मिली और राज्य से वाम मोर्चे की साढ़े तीन दशक पुरानी सरकार का सफाया हो सका। उन्होंने खुद कई बार कहा है कि वो हमेशा विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत नंदीग्राम से करती आई हैं।

1967 से अब तक इस सीट पर 12 बार (उप चुनाव समेत) चुनाव हुए हैं। इनमें से पांच बार सीपीआई ने जीत दर्ज की जबकि तीन बार तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। साल 2009 के बाद से लगातार तृणमूल कांग्रेस यहां से जीतती रही है। शुभेंदु अधिकारी से पहले 2011 में टीएमसी की फिरोज बीबी और 2009 के उप चुनाव में भी फिरोज बीबी जीत चुकी हैं।

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