@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंड कोविड काल में अनुदान के लिए सरकार द्वारा बनाया गया था और यह एक सार्वजनिक निकाय है। केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। हालांकि यह जवाब उसके उसी हालिया दावे के उलट प्रतीत होता है, जिसमें कहा गया है कि यह फंड निजी है। सरकार ने कहा है कि पीएम-केयर्स भारत सरकार का, उसके द्वारा स्थापित और नियंत्रित संस्थान है। लेकिन यह सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में नहीं आता, क्योंकि यह निजी फंड को स्वीकार करता है। पीएम केयर्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2020 में स्थापित किया था, ताकि कोरोना काल के दौरान की आपातकालीन जरूरतों को पूरा किया जा सके।
एक आरटीआई के जवाब में कहा गया, “पीएम-केयर्स फंड पूरी तरह से व्यक्तियों, संगठनों, सीएसआर, विदेशी व्यक्तियों, विदेशी संगठनों और पीएसयू से प्राप्त अनुदानों से चलता है। यह किसी भी सरकार से वित्त पोषित नहीं है औऱ ट्रस्टी के तौर पर निजी व्यक्ति ही इसका संचालन करते हैं। लिहाजा यह आरटीआई कानून की धारा 2 (एच) के तहत नहीं आता है। ऐसे में पीएम-केयर्स फंड को किसी भी तरह से सार्वजनिक निकाय नहीं माना जा सकता।”
पीएम-केयर्स फंड की ट्रस्टी डीड में कहा गया है कि यह सरकार का या उसके द्वारा नियंत्रित नहीं है। इस दस्तावेज से भ्रम और गहरा गया है कि क्योंकि आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक इससे विरोधाभास पैदा हो रहा है। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह फंड सरकारी निकाय के तौर पर चिन्हित किया गया है, जो दानदाताओं से करोड़ों रुपये का अनुदान स्वीकार करता है, लेकिन यह ऐसे अन्य सरकारी संगठनों की तरह दान की जानकारी देने को बाध्य नहीं है।