अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद की सतह पर पानी की खोज की है. चंद्रमा की सतह पर यह पानी उस जगह पर खोजा गया है, जहां सूरज की सीधी रोशनी पड़ती है। प्रकाशित दो शोध के मुताबिक, माना जा रहा है कि पहले के अनुमान से कहीं अधिक पानी चंद्रमा पर मौजूद हो सकता है। इस खोज से भविष्य में स्पेस मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी। यही नहीं इसका उपयोग ईंधन उत्पादन में भी किया जा सकेगा।
नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित दो नए अध्ययनों में सुझाया गया कि हमारे पुराने अनुमान से कहीं ज्यादा पानी चंद्रमा पर हो सकता है। इसमें ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद बर्फ भी शामिल है। पिछले शोध में सतह को स्कैन करने पर पानी के संकेत तो मिले हैं, लेकिन ये शोध पानी और हाइड्रॉक्सिल के बीच अंतर करने में नाकाम रहा था। हाइड्रॉक्सिल, हाइड्रोजन के एक और ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना एक अणु है।
हालांकि, एक नए शोध से इस बात के रासायनिक प्रमाण मिले हैं कि चंद्रमा की सतह पर आणविक जल मौजूद है यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी जहां सूरज की रोशनी सीधी पड़ती है।
हवाई इंस्टीट्यूट जियोफिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी के को-ऑर्थर केसी हनीबैल ने बताया कि शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी कांच के छोटे-छोटे मोतियों या फिर किसी और पदार्थ के अंदर हो सकता है, जो इसे बाहर के विपरीत पर्यावरण से बचाता है। आगे के अध्ययन से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि ये पानी कहां से आया है और कैसे संग्रहीत हुआ है।
उन्होने कहा, “अगर हमें कई जगहों पर पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है तो हम इसका इस्तेमाल मानव अन्वेषण के लिए संसाधन के रूप में करने में सक्षम हो सकते हैं। इसका इस्तेमाल पीने के पानी, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है।”