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आम आदमी पार्टी ने बोला भाजपा विधायक चीमा पर हमला, किसान बिल पर दोहरा रूख अपनाने का आरोप

काशीपुर। शिरोमणि अकाली दल द्वारा एनडीए से नाता तोड़े जाने पर आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश प्रवक्ता व काशीपुर विधानसभा प्रभारी मयंक शर्मा ने यहाँ जारी बयान में कहा कि कृषि विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल का भाजपा गठबंधन तोड़ लिया गया है। इसके बावजूद काशीपुर से चौथी बार भाजपा विधायक और शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हरभजन सिंह चीमा द्वारा इस्तीफा देने से इंकार कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि  वह शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं। इस घटनाक्रम से सिद्ध हो गया है कि शिरोमणि अकाली दल द्वारा एनडीए से गठबंधन तोड़ना आगामी पंजाब चुनाव के मद्देनजर महज एक दिखावा है। पंजाब और देश भर के किसानों के साथ छल के समान है। इसके साथ ही हरभजन सिंह चीमा द्वारा कृषि विधेयकों में संशोधन हेतु दिया बयान भी किसानों का बढ़ता विरोध देख कर सिर्फ खानापूर्ति हेतु दिया गया है। उन्होंने कहा कि हरभजन सिंह चीमा को आम जनता या आम किसान के दर्द से कोई सरोकार नहीं है।

हरसिमरत कौर बादल द्वारा कृषि विधेयकों के विरोध में दिया गया इस्तीफा हो या अकाली दल द्वारा एनडीए से नाता तोड़ना ये सभी पंजाब में आम आदमी पार्टी के बढ़ते जनाधार को देखते हुए आगामी पंजाब चुनावों के मद्देनजर लिए गए फैसले हैं। क्योंकि किसान विरोधी कृषि विधेयकों की ड्राफ्टिंग बैठकों में हरसिमरत कौर बादल भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में शामिल रही थीं इसलिए ये स्पष्ट है कि किसानों का रोष देखकर ही उन्होंने इस्तीफे का निर्णय लिया है और पूरी संभावना है कि पंजाब चुनाव के बाद अकाली एक बार फिर किसानों की पीठ में छुरा घोंप कर भाजपा से मिल जाएगी।

आप नेता मयंक शर्मा ने कहा कि आज काशीपुर के किसान और आम जनता हरभजन सिंह चीमा जी से पूछ रही है कि वो किस के साथ हैं? क्या चीमा जी भाजपा से गठबंधन तोड़ चुकी अकाली के साथ हैं? यदि हां तो वो तुरन्त भाजपा विधायक पद से इस्तीफा दें। क्या चीमा जी किसान विरोधी अध्यादेश लाने वाली भाजपा के साथ हैं? तो वो तुरन्त अकाली दल से इस्तीफा दें और जनता के सामने आकर कहें कि वो कृषि विधेयकों के समर्थन में हैं। और यदि चीमा जी न अकाली के साथ हैं न भाजपा के साथ हैं बल्कि काशीपुर और देशभर के किसानों के साथ हैं तो दोनों धोखेबाज पार्टियों से इस्तीफा दें और किसानों की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों।

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