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संसदीय समिति का एजेंडा मीडिया के सामने तय होना दुर्भाग्यपूर्ण: निशिकांत दुबे

@शब्द दूत ब्यूरो

नई दिल्ली। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को पत्र लिखा है। पत्र में एक सितंबर की समिति की बैठक में जम्मू कश्मीर में 4 जी मुद्दे के मुद्दे पर चर्चा न करने की मांग की गई है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर के सभा संसदीय समितियों के अध्यक्षों को लिखे पत्र का हवाला दिया है। स्पीकर ने कहा था कि परंपरा के अनुसार जो मामले अदालतों में चल रहे हैं, इन पर संसदीय समिति चर्चा न करे। दुबे ने कहा है कि समिति का एजेंडा मीडिया के सामने तय किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

गौरतलब  है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों को पत्र लिखा है। यहां उन्होंने निर्देश 55 की याद दिलाई है, जिसके तहत इसके तहत संसदीय समितियों की कार्यवाही गोपनीय रखा जाना चाहिए। इस निर्देश के अनुसार सदस्यों को समिति की कार्यवाही के बारे में मीडिया को नहीं बताना चाहिए जब तक कि समिति की रिपोर्ट संसद में नहीं रख दी जाती है। विषयों के चयन के समय नियम 270 का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके तहत किसी भी व्यक्ति, दस्तावेज अथवा रिकॉर्ड को समन करने के बारे में स्पीकर मामला स्पीकर को देना चाहिए और उनका निर्णय ही अंतिम है। परंपरा के अनुसार समिति ऐसे विषयों को नहीं लेती जो अदालतों में लंबित हैं, भविष्य की समितियों की बैठको में इनका ध्यान रखा जाना चाहिए।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और राज्यवर्धन राठौड़ ने स्पीकर को लिखकर थरूर की शिकायत की थी। थरूर पर आरोप था कि उन्होंने बिना समिति में चर्चा किए फेसबुक के अधिकारियों को बुलाने का ट्वीट किया था।

स्पीकर ने कहा, ‘संसदीय समिति छोटी संसद की तरह हैं।  वहां सरकार के सभी फैसलों और नीतियों की समीक्षा होती है ताकि सरकार की अधिकतम जवाबदेही तय हो सके।’

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